राष्ट्रीय बालिका दिवस पर शिक्षक माधव सिंह नेगी की कविता-माता पिता के लिए उपकार होती हैं बेटियाँ
माता पिता के लिए उपकार होती हैं बेटियाँ,
घर-आँगन को महकाये वो फूल होती हैं बेटियाँ।
मान-सम्मान, अभिमान होती हैं बेटियाँ,
धरती पर जैसे भगवान होती हैं बेटियाँ।
पतझड़ में बहार होती हैं बेटियाँ,
धूप में छाँव होती हैं बेटियाँ।
उमंग, उत्साह, उल्लास हैं बेटियाँ,
खुशियों का त्योहार होती हैं बेटियाँ।
संवेदनाओं की खान होती हैं बेटियाँ,
दो कुलों की मान-शान होती हैं बेटियाँ,
दुर्गा, लक्ष्मी, शारदा समान होती हैं बेटियाँ।
सचमुच बहुत महान होती हैं बेटियाँ।
घर की शान देश की भविष्य होती हैं बेटियाँ,
भारतीय संस्कृति की आधार हैं बेटियाँ
जिस घर में बेटी है, वह घर स्वर्ग समान है।
कोई भी पर्व बिना बहन-बेटी के अधूरा है।
कवि का परिचय
माधव सिंह नेगी
प्रधानाध्यापक, राजकीय प्राथमिक विद्यालय
जैली, ब्लॉक जखोली, जिला रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बहुत सुन्दर रचना माधव सिंह नेगी जी की