युवा कवयित्री प्रीति चौहान की कविता-थोड़े से गम हैं हिस्से में अगर
थोड़े से गम हैं हिस्से में अगर,
खुशियां भी आएंगी कभी
थोड़े गहरे से जख्म है मगर
ये लाइलाज़ तो नही ।
उसके बिना, जी ना सकोगे
ये बेकूफियां छोड़ो जरा
बह जाओ लहरों की तरह तुम
यादों को दो उसकी ठहरा।
साँसे तेरी, धड़कन तेरी हैं
फिर कब तक लोगों के वास्ते जीना,
जीने की कल मिलेगी फिर वजह
तू ही तेरी, पहचान है।
माना कि गम, थोड़ा सा ज्यादा है
रख लो खुद का जो, खुद से वादा है
माना थोड़ा मुश्किल दौर है मगर
फिर भी तुम लड़खड़ाना मत कभी
ठान लो पाने की, जो तेरा इरादा है।
थोड़े से आँसू, बहने को हैं
बहने दो उनको रोको नही
चाहत है नील गगन में
बेपरवाह पंछी जैसे उड़ने की..
तो पंख फैलाओ इन्हें काटो नही।
सीने में अंदर कोई खलिश है
पूरी कर जो कोई ख्वाहिश है
हार न मानो, खुद को तुम जानो
आग है अंदर उसकी तपिश है।
ज़िन्दगी के हर बुरे पड़ाव मे भी
तुम्हे कभी अपने लिए कभी
अपनो के लिए चलना पड़ेगा
जख्म जो दिल का, सीना पड़ेगा
हालात बुरे है मगर…
टूटा हुआ, तू नही है,
देखो जरा, क्या कमी है
होंठों पर हल्की मुस्कान रखो
आँखों में गर, अभी नमी है।
मिलेंगी खुशिया सारी एक दिन
उम्मीद रखना ये, गलत तो नही
थोड़े से गहरे जख्म हैं अभी
मगर ये लाइलाज़ तो नही..
तुम सबकी नजरों में अच्छे हो
ये तो मुमकिन नही..
मगर कभी खुद को पढ़कर
शर्मिंदा न हो कोशिश ये रखना
हो सके तो होंठो पर एक
प्यारी सी मुस्कान रखना
अगर आंखों में अभी नमी है
कवयित्री का परिचय
नाम-प्रीति चौहान
निवास-जाखन कैनाल रोड देहरादून, उत्तराखंड
छात्रा- बीए (द्वितीय वर्ष) एमकेपी पीजी कॉलेज देहरादून उत्तराखंड।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बहुत बहुत सुन्दर रचना प्रीति चौहान बिटिया की.