राजस्थान के युवा कवि कल्पित पांड्या की कविता-सारा जहां हमारा है
सारा जहां हमारा है।
वो हर किनारा हमारा है।।
ज़मीन की है कीमत ।
आसमान तो हमारा है।।
समय समय पर सरहदे बदलती रहती है।
तभी तो सारा जहां हमारा है।।
क्या हुआ जो हम सीमित है ?
विचार तो जहां भर में घूम आया है।।
कहने को तो बेघर है पर।
फिर भी सारा जहां हमारा है।।
दुनिया के लिए हम अभागे है पर।
फिर भी सारा भगवा देश हमारा है।।
ज़िन्दगी में हम ज़िंदादिल है।
फिर भी ज़ुल्मी मेहमान हमारा है।।
रुक गए थे कभी दहशत में फिर भी।
इकरार का वो हर तराज़ू हमारा है।।
ले गए हमारा सब कुछ ।
क्योंकि सारा जहां हमारा है।।
रण संग्राम में हारा।
वो हर मैदान हमारा है।।
बेमानी से जीता।
वो हर तख्तो ताज हमारा है।।
वो हर किनारा हमारा है।
सारा जहां हमारा है।।
कवि का परिचय
कल्पित पंड्या
शिक्षा-एमएससी, पीएएमसीसी।
निवास-सागवाड़ा, डूंगरपुर राजस्थान।
वर्तमान में कल्पित बजाज फाइनेंस में जॉब कर रहे हैं। साथ ही वह सरकारी जॉब्स की तैयारी कर रहे हैं।
मो–9660960260
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।