युवा कवि कल्पित पांड्या की कविता-उत्तरायण की हर कहानी याद है

उत्तरायण की हर कहानी याद है
वो हवा का इंतजार
और सही छत की तलाश।।
फिरकी पकड़ने के लिए
करते थे साथी दोस्त की तलाश।।
पतंग से कभी तंग ना होते थे
चाहे माँ बुलाते थक जाती थी।।
वो समय भी कमाल था
जब एक पतंग के लिए बवाल था।।
घर पर होते थे दसो पतंग
पर सबसे प्यारा वो लूटा हुआ पतंग ।।
याद है आज भी कटे पतंगों के पीछे भागने
और घर लौट कर साथियो में हिस्सा बटना।।
वो जिंदगी अलग थी
हर छत्त पर मैदानों पर चहल पहल थी।।
गुड़ और तिल का स्वाद याद है
उत्तरायण की हर कहानी याद है।।
कवि का परिचय
कल्पित पंड्या
शिक्षा-एमएससी, पीएएमसीसी।
निवास-सागवाड़ा, डूंगरपुर राजस्थान।
वर्तमान में कल्पित बजाज फाइनेंस में जॉब कर रहे हैं। साथ ही वह सरकारी जॉब्स की तैयारी कर रहे हैं।
मो–9660960260