गंगा सागर मेरठ के कवि सागर पांडे (कलमकार) की कविता-गृहिणी का एक दिन
गृहिणी का एक दिन
घर वो सारा संभालती हैं !
नींद छोड़कर सबसे पहले वो उठ जाती हैं !
किचन मे वो उठते ही जाती हैं !
सबकी पसंद का खाना वो बनाती हैं !
परिवार मे जो फार्मिश रखदे उसको पूरी करती जाती हैं !
काम राशन मे भी घर वो पूरा महीना चलाती हैं !
अपनी इच्छा मारकर परिवार के लिए सब कुछ कर जाती हैं !
थक जाये कितना भी मगर आराम नहीं वो फरमाती हैं !
खुदको परिवार के लिए न्यौछावर करती जाती हैं!
जैसा मिल जाये वैसे वो खाना खाती हैं !
मगर परिवार के लोगो के नखरे वो उठती हैं !
सुबह से लेकर शाम के खाने तक की विषय सूची वो एक दिन पहले बनाती हैं !
तैयारी वो खाने की एक रात पहले ही
खुदको परिवार के हिसाब से ढालती हैं !
तीज त्यौहार मे पूरे घर की सजावट के लिए ख़ुद उठ जाती हैं !
होली दिवाली या हो त्यौहार पहाड़ का उत्तरैणी
करता हैं कलमकार नमन तुमको ग्रहणी।
कवि का परिचय
सागर पांडे (कलमकार)
शिक्षा – ग्रेजुएटेड
निवास- 25 A जहान्वी द्वार गंगासागर, मेरठ।
वर्तमान में कविता, शयारी लिखते हैं और नौकरी की तलाश हैं!
मो–9917313580
सागर पांडे मूल रूप से उत्तराखंड निवासी हैं। वह मैरठ (उत्तरप्रदेश ) में रह रहते हैं। लिखना और पढ़ना उनका शौक है।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।