महिला दिवस पर शिक्षक विजय प्रकाश रतूड़ी की कविता-बेटी के होने पर जब
बेटी के होने पर जब,
जश्न मनाया जाएगा।
बिना कृष्ण जब बेटी का।
चीर सुरक्षा पाएगा।
जब पिता की चढी भृकुटी,
मां को नहीं डराएगी।
कोई पंचर स्कूटी जब,
काल नहीं बन पायेगी।
निपट अकेली बेटी जब।
कृष्ण विरानी रातों में।
बिना डरे घर पहुंचेगी।
पुष्प गुच्छ ले हाथों में।
जब निर्भया का भय जाएगा।
सफर अकेले करने में।
तब समझो इस भू पर है ,
महिला दिवस सचमुच में।।
कवि का परिचय
नाम-विजय प्रकाश रतूड़ी
प्रधानाध्यापक, राजकीय प्राथमिक विद्यालय ओडाधार
विकासखंड भिलंगना, जनपद-टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
सुंदर रचना??????