राजस्थान के शिक्षक दीनानाथ की कविता- बूंद भर जीवन

बूंद भर जीवन
आज चांद टूट गया
देख साधिका ताप ।
कैसे करूं बखान,
आज साधक हार गया।।
बूंद नीर समीप नहीं जिसके,
देखउन अधरों को,
अधर – सा सूख गया,
आज चांद टूट गया।।
देह करती संकेत
सब काज छूट गया
हकीकत हुई मालूम एक दिवस,
आज साधक हार गया।।
चाहत उसकी सदियों तक ,
रहे साथ साधक।
समझे भावना साधिका की साधक,
तो रहती प्रीत उनमें जीवन भर।।
टुटते देख आज बन्धन,
हकीनन यही लगता रिक्त प्रीत ।
सागर समझे तरंग का महत्व,
वरना बूंद भर है जीवन।
कवि का परिचय
नाम- दीनानाथ
प्राध्यापक हिन्दी,
राजकीय उच्च माद्यमिक विद्यालय
अजनावर जिला बांरा राजस्थान।
दूरभाष न-9660022821




