मुकुन्द जोशी की कविताः विज्ञान और मानवता
विज्ञान और मानवता
विज्ञान नहीं केवल बम है, विज्ञान सरौता, कैंची भी
विज्ञान रहट है, पहिया है, सुई और धागा भी
पहला वैज्ञानिक था जिसने पत्थर घिस आग जलायी
दिशा ज्ञान था प्राप्त किया या पहली नाव चलायी
एक बनैले पशु से ज्यों ही हुए सोचने वाले हम
उसी समय वैज्ञानिक जनमा, शुरू हुआ खोजों का क्रम
चलते चलते बहुत दूर तक आ पहुँचा है अब मानव
उसके वैज्ञानिक स्वरूप से विकसित देव और दानव
विचार, चिन्तन या अनुभव ने नियम और सिद्धान्त दिये
विविध प्रयोगों द्वारा क्रम से नूतन आविष्कार हुए
उनके फल अच्छे हो सकते या कि बुरे भी निश्चित ही
इसका निर्णय कर सकते हैं केवल हम केवल हम ही
हमको बस इतना करना है करना सत्त्ववृत्ति विकसित
दमन हो सके जिससे तम का दुष्ट विचार नियन्त्रित
भौतिकता के साथ साथ ही सच्ची आध्यात्मिकता
यदि पुष्पित हो तब संभव है बनी रहे मानवता
— मुकुन्द जोशी
लेखक का परिचय
नाम: मुकुन्द नीलकण्ठ जोशी
जन्म: 13 जुलाई, 1948 ( वास्तविक ), 1947 ( प्रमाणपत्रीय ), वाराणसी
शिक्षा: एम.एससी., भूविज्ञान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय), पीएचडी. (हे.न.ब.गढ़वाल विश्वविद्यालय)
व्यावसायिक कार्य: डी.बी.एस. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, देहरादून में भूविज्ञान अध्यापन
रुचि:
- विज्ञान शोध एवं लेखन
25 शोध पत्र प्रकाशित
एक पुस्तक “मैग्नेसाइट: एक भूवैज्ञानिक अध्ययन” प्रकाशित - लोकप्रिय विज्ञान लेखन
एक पुस्तक “समय की शिला पर” (भूविज्ञान आधारित ललित निबन्ध संग्रह) तथा एक विज्ञान कविता संग्रह “विज्ञान रस सीकर” प्रकाशित
अनेक लोकप्रिय विज्ञान लेख प्रकाशित, सम्पादक “विज्ञान परिचर्चा” ( उत्तराखण्ड से प्रकाशित लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका ) - हिन्दी साहित्य
प्रकाशित पुस्तकें - युगमानव (श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित खण्डकाव्य)
- गीत शिवाजी (छत्रपति शिवाजी के जीवन पर गीत संग्रह)
- साहित्य रथी ( भारतीय साहित्यकार परिचय लेख संग्रह )
- हिन्दी नीतिशतक (भर्तृहरिकृत “नीतिशतकम्” का हिन्दी समवृत्त भावानुवाद)
विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएँ प्रकाशित
संपर्कः
मेल— mukund13joshi@rediffmail.com
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।