साहित्यकार सोमवारी लाल सकलानी निशांत की कविता- चाणक्यवाद के लक्षण
चाणक्यवाद के लक्षण
सब लगे राजनीति की धींगा- कुश्ती में,
सब लगे राजनीति की नूरा- कुश्ती में।
सब लगे राजनीति की कसरत करने में,
केवल भाषणबाजी है जनता की सेवा में!
अपने योग- गुरु अब व्यापारी बन बैठे,
सत्ताच्युत कुछ माननीय कृषक बन ऐंठे।
पेट्रोल- डीजल, गैसादि में आग लगी है !
घोर तपन गांव पहाड़ों तक फैल चुकी है।
युवा बेरोजगारों की भारी फौज खड़ी है।
चालान, किराया, टैक्स की मार पड़ी है।
सब नेतागण चुनाव बाईस के चक्कर में।
फैन भक्त ठेकेदार पार्टी करबद्ध खड़े हैं।
कुछ भूखे- छके कुतर्क में लड़े- मरे हैं।
कुछ पार्टीबाजी खातिर विरोध अड़े हैं।
आम आदमी की चिन्ता केवल बातों में।
मर्यादित बातें केवल हैं- वंचित लोगों में।
धर्म का सौदा करना सब सीख लिए हैं !
धर्म जात पात पर लड़ना सीख लिये है।
रकम देने वाले को सीधा- स्वर्ग मिलेगा !
निर्धन यहां नरक में सदा पड़ा मिलेगा !
रोजगार की बात नहीं, ना जनहित बातें ,
अड्डों पर सुरशालाएं,और वोटों की बातें!
अतिक्रमण गोरखधंधा भू शराब की चिंता !
राजनीति के नाम पर, शुरू हो रही हिंसा ।
धन्ना सेठों को आरक्षण और गरीब को चोंगा !
भक्त फैन मशगूल सुरा में, मिला अमृत डोंगा !
दोहरे मानक मापदंड हैं,राजनीति के लक्षण।
साम दाम दण्ड भेद- चाणक्य वाद के लक्षण।
कवि का परिचय
सोमवारी लाल सकलानी, निशांत।
सुमन कॉलोनी, चंबा, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
सोमवारी लाल सकलानी जी की सुंदर रचना,
भक्त फैन मसगूल सुरा में.
आम आदमी की चिंता बातौं में.