बोर्ड परीक्षा में मनवांछित अंक न लाने वाले छात्रों को समर्पित कविता
बढते रहो
बढते रहो ।।
नित नई कथा गढते रहो ,
कंटक पथ पर चलते रहो ,
दुनिया के ताने सुनो ,
तुम हिम्मत के गाने सुनो ।
डगर कठिन , चलते रहो ,
बढ़ते रहो , बढ़ते रहो ।
तुम लंबे पथ के राही ,
मध्य मार्ग मे मत हारो ।
अभी बहुत रस्ता बाकी ,
अतिशीघ्र हथियार ना डालो ।
बस प्रतिभा पर विश्वास करो ,
मेहनत नत हो अडत़े रहो ।
बढ़ते रहो ,
बढ़ते रहो ।।
भूमि के नीचे बीज दबाया ,
अंधकार था उसने पाया ।
फिर भी वह साहस करके ,
उठता है उठता जाता है ।
नया आसमां पाता बीज ,
तुम नभ छूने सजते रहो ।
बढ़ते रहो ,
बढ़ते रहो ।।
किरन पुरोहित हिमपुत्री
लेखिका का परिचय —
नाम – किरन पुरोहित “हिमपुत्री”
पिता – श्री दीपेंद्र पुरोहित
माता – श्रीमती दीपा पुरोहित
जन्म – 21 अप्रैल 2003
आयु – 17 वर्ष
अध्ययनरत – कक्षा 12वीं उत्तीर्ण
निवास, कर्णप्रयाग चमोली उत्तराखंड