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October 15, 2024

युवा कवयित्री अंजली चंद की कविता- कुछ एक थे

1 min read

कुछ एक थे
जो पुराने किस्सों में बर्बादी हमारी लिख गये
आज उन किस्सों के कुछ हिस्सों को बयां करते हैं,
जो एहसास जो आवाज आज भी छलनी कर देते हैं
वास्तविकता को कहानी का रूप देते हैं।
जो हर पल में शामिल थे
शामिल बातों में
कुछ जज्बातों में थे,
ख़ुशी में खुश
हो तकलीफ़ तो दुःखी हो जाया करते थे,
कहते थे दूर ना जाएंगे
वचन में अक्सर क़सम झूठी लिया करते थे,
वाकिफ़ थे अजीज थी मुस्कुराहट उनकी
इसीलिए कई दफा उनके लिए कई समझौते खुद से ही हो जाते थे, (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)

वो भी समझे और कोशिश कर सकें
निभाने की हद में कई दफ़ा खुद को ही तोड़ दिया करते थे ,
उनके दिये ना दिखने वाले घावों को
मतलबी अपनेपन तले छिपा लिया करते थे,
जब सीली जुबां पहली दफा खुली थी
हिस्से हमारे दगा और उनके वफा आई थी,
तमाशे की सेज हमारे लिए सजी थी
हिस्से उनके ग़ज़ब की अदाकारा आई थी,
नकारे गये दहलीज से,
ताउम्र उठा ना सके सर हिस्से वो प्रताड़ना आई थी,
ना गिला कर सकें ना शिकवा
ना मसला समझ सकें ना मन उनका पड़ सके
परीक्षा ही शायद प्रतीक्षा की थी, (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)

लोग कहते हैं तुम ग़म लिखती हो,
खुशियां कितनी कम लिखती हो,
दर्द बेहिसाब लिखती हो,
सुकून हिस्से बहुत कम लिखती हो,
कैसे बताए लिखने वाला
कुछ तजुर्बे तो कुछ एहसास लिखता है
अनसुलझे सवाल लिखता है
हिस्से जिसके जो आया वो ख्याल लिखता है।
कवयित्री का परिचय
नाम – अंजली चंद
खटीमा, उधमसिंह नगर, उत्तराखंड। पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही हैं।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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