युवा कवयित्री अंजली चंद की कविता- आओ जनता अब तो आओ होशो हवाश में

आओ जनता अब तो आओ होशो हवाश में
ना आओ अब चुनावी जुमले के आगोश में,
गांव अपना समर्पण करने जा रहे हो,
सही प्रतिनिधि चुनना तुम (जनता),
पांच साल राज कर वो और पांच साल राज करेगा ,
मगर गांव का कभी ना विकास करेगा,
खुद को दुर्बल बोल कब तक झूठा राग गाओगे तुम (जनता),
करो शक्ति का निर्वाह चुनो सक्षम नेतृत्व को,
सही मायने में आजादी तब खुद को दे पाओगे तुम (जनता), (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रश्नवाचक स्वयं के समीप रखो तुम ( जनता ),
कहो खुद से समाज में हो तुम (जनता ) ,
विकास (सड़क) , विकास (जागरूकता)
ये दौर परखो तुम ( जनता),
नेतृत्व तुम्हारा करें जो
नए तजुर्बे, नए पथ, नई सोच
से बदले क्षेत्र तुम्हारा (जनता),
विकास घर घर पहुंचा है या नहीं,
जन जन में चर्चा आम है,
बरसाती मेढ़क गुर्रा रहे,
बैठक कही तो कहीं जुमला अपना जमा रहे,
ना आना भ्रम में तुम तानाशाही के
वोट तुम्हारा, अधिकार तुम्हारा,
यहां सरकार नहीं बनती खुद किसी की,
जिसे चाहे सरकार बनाए हम हमारा। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
गांव , समाज में ना निभाना भाईचारा
संग प्रतिनिधि के तुम (जनता),
एकता समाज में बनाए रखना तुम (जनता),
ना पशु के भांति करना व्यवहार तुम (जनता),
आपसी रंजिश एकतरफ काबिल हो प्रतिनिधि तो
उसे ही चुनना तुम(जनता),
जो मन को भाए जो समाज को भाए ,
जो सोच को प्रज्ज्वलित करें,
जो आधुनिक विकास की बात करें,
जो जागरूकता फैलाएं,
जो सबके समीप आकर सबकी सुने,
कुछ ऐसा लोकप्रिय चुनना तुम (जनता)। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
कुछ ऐसे भी मुद्दे रखना तुम (जनता)
गांव को शहर से जोड़ें,
गांव को गांव सा निखारे भी,
जो स्वच्छता का पाठ पढ़ाए,
बौद्धिक ज्ञान को उजागर करें भी,
मनुष्य, खेती, पशु और वन को संजोए ,
समाज के पुरातात्विक स्थलों को संभाले भी,
जो नई योजना से नई पहल जोड़े ,
गांव को इतिहास में समाए भी।।
कवयित्री की परिचय
नाम – अंजली चंद
खटीमा, उधमसिंह नगर, उत्तराखंड।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।