रामनवमी पर्व पर युवा कवि सूरज रावत की कविता- जब हरि ने श्री राम रूप में जन्म लिया

केवट का उद्धार किया, रावण का संहार किया,
जब हरि ने श्री राम रूप में अवतार लिया,
माता कौशल्या की गोद है पायी,
भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न जैसे मिले भाई,
जब अयोध्या में जन्मे रघुराई,
दशरथ को पिता रूप में पाया,
अयोध्या का राज घराना पाया,
विश्वामित्र से दीक्षा पायी,
जब अयोध्या में जन्मे रघुराई, (कविता जारी अगले पैरे में देखिए)
ताड़का का संहार किया,
अहिल्या का उद्धार किया,
धनुष यज्ञ में भाग लिया,
अर्धांगिनी रूप में पायी सिया,
जब हरि ने श्री राम रूप में जन्म लिया,
राज पाठ सब त्याग दिया,
पिता वचन निभाने को,
अयोध्या पूरी सूनी हो गयी ,
जब श्री राम तैयार हुए बन जाने को,
14 वर्ष बनवास भोगने,
संग चले लक्ष्मण और सिया,
जब हरि ने श्री राम रूप में जन्म लिया, (कविता जारी अगले पैरे में देखिए)
राम वियोग में जब तज़े प्राण दशरथ ने,
राज पाठ अपनाने से मना किया भरत ने,
14 वर्षों तक श्री चरण पादुका से राज किया,
बनवास पूरे होने का इंतजार किया,
जब हरि ने श्री राम रूप में जन्म लिया,
हनुमान सा भक्त मिला, शुग्रीव सा मित्र मिला,
लंका पर करी चढ़ाई,
जब रावण ने धोखे से हर ली सिया,
जब हरि ने श्री राम रूप में जन्म लिया, (कविता जारी अगले पैरे में देखिए)
रावण भी बड़ा महा ज्ञानी था,
पर वो मूढ़ बड़ा अभिमानी था,
उसने ऐसा कृत्य किया,
भाई से भी बैर किया,
हरि ने उसका संहार किया,
जब विभीषण ने उसका भेद दिया,
जब हरि ने श्री राम रूप में जन्म लिया,
जब 14 वर्षों तक तप और त्याग किया,
तब मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये,
सारे अयोध्यावासी हर्षाए जब राम अयोध्या वापस आये,
फिर भरत ने राज पाठ सब सौंप दिया,
जब हरि ने श्री राम रूप में जन्म लिया।

सूरज रावत, मूल निवासी लोहाघाट, चंपावत, उत्तराखंड। वर्तमान में देहरादून में निजी कंपनी में कार्यरत।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।