युवा कवि सूरज रावत की कविता- एक हादसा

एक हादसा- ना जाने कितनी कहानियां अधूरी रह गयी,
एक हादसा- ना जाने कितनी निशानियां बुझ गयी,
कइयों की मंजिलें अधूरी रह गयी,
कइयों के पनपते ख्वाब टूट गये,
कइयों की जवानी ढल गयी,
कई चिराग जलने से पहले बुझ गये, (कविता जारी अगले पैरे में देखिए)
एक हादसा – ना जाने कितने सपने खाक हो गये,
एक हादसा – फूल से मासूम पल भर में राख हो गये,
इसे तकनीकी बाधा कहें या नियति का खेल,
छोटी सी उड़ान ने ना जाने कितने उभरते पंख काट दिये,
जो गये अब वो वापस ना आ पायेंगे ,
ना जाने कितने लोग बस उन अपनों का इंतजार करते रह जायेंगे,
एक हादसा – जिसने दिमाग़ पूरी तरह हिला दिया ,
एक हादसा – जिसने दिल को झकझोर कर रख दिया, (कविता जारी अगले पैरे में देखिए)
खुशकिस्मत था वो उस दिन जिसकी फ्लाइट छूटी थी,
कैसा मनहूस दिन था वो
ना जाने क्यों उस दिन इतने मासूमों की किस्मत एक साथ रूठी थी,
एक हादसा – ना जाने कितनी कहानियां अधूरी रह गयी ,
एक हादसा – ना जाने कितनी निशानियां बुझ गयी।।
कवि का परिचय
सूरज रावत, मूल निवासी लोहाघाट, चंपावत, उत्तराखंड। वर्तमान में देहरादून में निजी कंपनी में कार्यरत।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।