शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता-हम पर तरस क्यों नहीं आता

हम पर तरस क्यों नहीं आता
मम्मी पापा चाची चाचा,
हम पर तरस क्यों नहीं आता।
बिना पढ़ाई के घर बैठे हैं हम,
दिल से क्या तुम्हे अच्छा भाता।।
मुझे तो अपना प्यारा सा स्कूल,
सदा ही मन में याद आता।
पर मेरी बातें कौन सुनेगा,
पढ़ना मुझको अच्छा भाता।।
सोचो तो जरा मम्मी पापा,
बिना स्कूल के कुछ नहीं आता।
पेपर दिए बिना पास हो गई मैं,
क्या मन से तुमको अच्छा भाता।।
स्वछंद रहकर खेलना पढ़ना चाहूं,
हम पर तरस क्यों नहीं आता।
बेवजह घर से क्यों जाते हो बाहर
कोरोना तभी तो यहां से नहीं जाता।।
मुझे तो लगता दुश्मन तुम सभी हो,
तभी तो कोई स्कूल नहीं जाता।
कुछ दिन ठहर जाते घर पर तो,
कोरोना इतनी बीमारी न फैलाता
वक्त रहते हम बच्चों पर तरस खाओ,
क्यों नहीं कोई दिन भर कर्फ्यू लगाता।
तुम लोग तो सुधरोगे नहीं कभी,
तुम्हे तो बाजार जाने में मजा आता।।
तुम्हे क्या कोई मरे या जिए,
नहीं क्यों बच्चों पर तरस आता।
मेरे भविष्य के खातिर कुछ दिन,
कोई क्यों नहीं घर पर ठहर पाता।।
हमारी खातिर ठहरो घर पर,
घर में हर कोई सुकून पाता।
मास्क पहनो दूरी बनाओ,
तभी तो कोरोना यहां से जाता।।
हमने तो अभी कुछ बसंत देखे,
इस बात पर तरस नहीं आता।
अब बेवजह बाहर मत निकलो,
कातिल शत्रु तभी तो हारता।।
मम्मी “”””””””””””””””””””””चाचा,
हम””””””””””””””””””””””””””आता।
बिना”””””””””””””””””””””””””हम,
दिल””””””””””””””””””””””””””भाता।।
कवि का परिचय
नाम- श्याम लाल भारती
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं।
बहुत बहुत सुन्दर, सही संदेश