शिक्षक भजन सिंह की कविता- भारतीय राजनीति से आहत एक सैनिक की वेदना
क्यों राष्ट्र के भक्षक-रक्षक से
पराक्रम का प्रमाण माँगते हैं,
संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की
सारी सीमायें लाँघते हैं।।
जला रहे जो देश मेरा
बस उनको आँचल में बिठाते हो,
आन-बान और जान तिरंगा
क्यों मुझ पर ही सवाल उठाते हो।।
मृत नहीं आज बस मौन हूँ मैं,
ये तुम ही बताओ कि कौन हूँ मैं।।
जा रहा हूँ छोड़कर
ये देश मेरा परिवेश मेरा,
कह दे आज भी मुझसे ऐ वतन
अगर है कोई आदेश तेरा।।
कवि का परिचय
नाम- भजन सिंह
सहायक अध्यापक (कला)
राजकीय इंटर कॉलेज, गुन्दियाट गाँव, उत्तरकाशी, उत्तराखंड
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
देश प्रेम की सुंदर रचना