किसने बनाया उत्तराखंड किसका हो के रह गया, पढ़िए रचनाकार के उदगार
किसने बनाया उत्तराखंड किसका हो के रह गया,
कैसे सपने देखे हमने केसे बन के रह गया
चम्मचों की फौज है नेताओं की मौज है ,
घोटाले रोज है देते नई डोज़ है
बस्ती बस्ती घोर उदासी कहती सारी कासी ,
गाँव भी अब खाली खाली
नहीं अब कही हरियाली ,
पढ़ा लिखा बेरोजगार है
कौन है इसका जिम्मेदार
सारा प्रांत त्रस्त है, जिसको ज़िम्मेदारी दी वो घर भरने मैं व्यस्त है
ऐरा गैरआ नथू खेरा नेता बन के रह गया ,
किसने बनाया उत्तराखंड किसका हो के रह गया
सफ़ेद घोड़ी लाल लगाम उस पर बैठे नथू राम ,
जनता सारी झुक कर करे सलाम
मंत्री जी है उनका नाम, करते सारे उल्टे काम ,
फिर लगाते उस पर बाम
आम जन मानस देख ठगा सा रह गया
किसने बनया उत्तराखंड किसका हो के रह गया
कुर्सी की दौड़ मैं नेता मारे झपटा , जनता खाये रपटा
भावना का ज्वार भाटा आता है मन में
क्या एसे दिन देखने थे अपने जीवन में
खटीमा मसूरी ,तिराहा कांड हम भूल गए ,
गोली जिनके सीने पर लगी
क्या सपने देखे होंगे उन अमर शहीदों ने ,
अस्मत लुटाई माता ओर बहनों ने
आज किसी फर्क नहीं उनके जीने मरने में ,
जो संगीने जेहल चुके थे अपने नंगे सीने में
यह सब देख गांधी सुमन भी ठगा सा रह गया ,
किसने बनया उत्तराखंड किसका हो के रह गया ।
रचनाकार का परिचय
नाम -डॉ. महेंद्र पाल सिंह परमार ( महेन)
शिक्षा- एम0एससी, डीफिल (वनस्पति विज्ञान)
संप्रति-सहायक प्राध्यापक ( राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी)
पता- ग्राम गेंवला (बरसाली), पोस्ट-रतुरी सेरा, जिला –उत्तरकाशी-249193 (उत्तराखंड)
मेल –mahen2004@rediffmail.com
मोबाइल नंबर- 9412076138, 9997976402 ।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।