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December 3, 2024

नफरत फैलाने वाले दंगाइयों के खिलाफ प्रदेशभर में विपक्षी दलों और जनसंगठनों ने उठाई आवाज, जारी रहेगा संघर्षः डॉ. गोगी

उत्तराखंड में नफरत फैलाने वाले दंगाइयों के खिलाफ विपक्षी दलों के साथ ही विभन्न जनसंगठनों ने आवाज उठाई। राज्य के विभिन्न शहरों में प्रशासन के माध्यम से संगठनों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किए। देहरादून में भी जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर मांग की गई कि नफरतवादियों और दंगाइयों को संरक्षण नहीं दिया जाए। ऐसे लोगों से सख्ती से निपटा जाए। इस मौके पर देहरादून  महानगर कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. गोगी ने कहा कि नफरत के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा।  (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गत दिवस उत्तरकाशी जिले में एक धर्म विशेष के लोगों के खिलाफ नफरतवादियों ने बाजार बंद कर प्रदर्शन किया। धार्मिक स्थल की ओर उनके बढ़ने पर जब पुलिस ने रोका तो भीड़ ने उत्पात भी मचाया। इस पर पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा। इस तरह लोगों को धार्मिक उन्माद में धकेलेने और भड़काने की घटनाएं राज्य के साथ ही देश भर के कई स्थानों में एकाएक बढ़ी हैं। या कहें कि पिछले दस साल में ऐसी घटनाओं में तेजी आई है। ऐसी घटनाओं के खिलाफ अब विपक्षी दल और समाजिक संगठनों के लोग आवाज उठाने लगे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जिलाधिकारी कार्यालय में ज्ञापन देने पहुंचे लोगों का कहना था कि राज्य में चंद लोग एवं संगठन लगातार हिंसा और नफरत फैला रहे  हैं। ऐसे में जनता को लग रहा है कि सरकार की ओर से इनको संरक्षण दिया जा रहा है। इन चंद लोगों ने नफरती भाषण दिए हैं, निजी एवं सरकारी सम्पतियों पर हमले की हैं। पथराव किया। लोगों से मारपीट की। लोगों को मकानों और दुकानों से भगाने का प्रयास किया। ऐसे लोगों पर न दंगाई विरोधी कानून लगाया जाता है और न ही आपराधिक कानूनों के सही धाराएं। ऐसे में कानून के खिलवाड़ करने में इनका साहस बढ़ रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि उत्तरकाशी के आलावा बीते दो महीनों के अंदर ऐसी घटनाएं कीर्तिनगर, देहरादून, नंदनगर, थराली, मसूरी, बेरीनाग, गौचर और अन्य जगहों में सामने आई है। सत्ताधारी दल इन सारी बातों को नज़र अंदाज़ कर रहा है। चंद कथित घटनाओं को धार्मिक रंग दे कर, उनको किसी प्रकार का “जिहाद” का नाम दे कर एक साजिश के तौर पर दिखाने की कोशिश की जा रही है। इस माहौल में भी कई पुलिस और प्रशानिक अधिकारीयों ने अपने स्तर पर निष्पक्षता के साथ कार्यवाही की हैं, जो सराहनीय है, लेकिन यह नकाफी है।  (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ज्ञापन के माध्यम से मांग उठाई गई कि सरकार नफरत के लिए ज़िम्मेदार व्यक्तियों को संरक्षण देना तुरंत बंद करे। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार, हिंसक घटनाएं के लिए हर ज़िम्मेदार व्यक्ति एवं संगठन पर सख्त कार्यवाही हो। जहां पर लोगों को घर और दुकान खाली करने की धमकी दी गई है, वहां पर प्रभावित लोगों को सुरक्षा दी जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

2018 के उच्चतम न्यायलय के फैसलों के अनुसार राज्य भर में भीड़ की हिंसा और नफरती भाषणों को रोकने की व्यवस्था बनाया जाए। महिलाओं की सुरक्षा के लिए हर ब्लॉक पर “वन स्टॉप सेंटर” खोला जाए। राज्य के असली मुद्दे जैसे वन अधिकार कानून, भू कानून, शहरों में गरीबों को घर एवं हक मिले, कल्याणकारी योजनाओं में सुधार, रोज़गार के लिए युद्धस्तर पर कदम उठाऐ जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

देहरादून महानगर कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. जसविंदर गोगी ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत रामनगर, चमियाला, उत्तरकाशी, टिहरी, मुनस्यारी, नैनीताल, गरुड़, देहरादून, जोशीमठ, कर्णप्रयाग और अन्य जगहों में प्रदर्शन का आयोजन किया गया। शनिवार को हरिद्वार और उधम सिंह नगर में भी विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों की ओर से प्रदर्शन किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि ये संघर्ष लगातार जारी रहेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ज्ञापन देने वालों में देहरादून में इंडिया गठबंधन की और से कांग्रेस के देहरादून महानगर अध्यक्ष डॉ. जसविंदर गोगी, प्रदेश उपाध्यक्ष पूरन सिंह रावत, वरिष्ठ नेता याकूब सिद्दीकी, सपा के राष्ट्रीय सचिव डॉ एसएन सचान एवं अतुल शर्मा, आम आदमी पार्टी की उमा सिसोदिया, CPI के राष्ट्रीय कौंसिल सदस्य समर भंडारी, उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत एवं निर्मला बिष्ट, उत्तराखंड इंसानियत मंच के त्रिलोचन भट्ट, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, राजेंद्र शाह, मुन्ना कुमार, अरुण, और रहमत, बीजीवीएस की स्वाति नेगी शामिल भी रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये की गई मांग
– हिंसक सांप्रदायिक घटनाएं के लिए हर ज़िम्मेदार व्यक्ति एवं संगठन पर सख्त कार्यवाही हो। जिन क्षेत्रों में खाली करने की धमकी दी गयी है, वहां पर उच्चतम न्यायलय के आदेशों के अनुसार प्रभावित लोगों को सुरक्षा दी जाये।
– नफरत फैलाने वाले चंद व्यक्ति एवं संगठन को संरक्षण देना तुरंत बंद किया जाये।
– 2018 के उच्चतम न्यायलय के फैसलों के अनुसार राज्य भर में भीड़ की हिंसा और नफरती भाषणों को रोकने का व्यवस्था बनाई जाये।  महिलाओं की सुरक्षा के लिए हर ब्लॉक पर “वन स्टॉप सेंटर” खोला जाये।
– भू कानून द्वारा राज्य के खेती की ज़मीन को सुरक्षा मिले और वन अधिकार कानून के तहत जनता के वन अधिकारों को मान्यता मिले; शहर के मज़दूरों के घर और हक़ मिले; कल्याणकारी योजनाओं में सुधार; और रोज़गार के लिए युद्धस्तर पर कदम उठाये जाये।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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