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April 16, 2025

चीन के विदेश मंत्री का राय- भारत और चीन को विरोधियों की बजाय साझेदार होने की जरूरत, आएंगे भारत दौरे पर

गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के बाद अब भारत और चीन के तनावपूर्ण रिश्‍ते में नरमी आती दिख रही है। भारत और चीन के रिश्तों में फिर से गर्माहट आने की उम्मीद बढ़ गई है।

गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के बाद अब भारत और चीन के तनावपूर्ण रिश्‍ते में नरमी आती दिख रही है। भारत और चीन के रिश्तों में फिर से गर्माहट आने की उम्मीद बढ़ गई है। अगर सबकुछ सही रहा तो चीन के विदेश मंत्री वांग यी इस महीने के अंत तक भारत की यात्रा पर आ सकते हैं। कोरोना वायरस महामारी और गलवान घाटी हिंसा के बाद चीन के किसी बड़े नेता की यह पहली भारत यात्रा हो सकती है। भारत और चीन के बीच लद्दाख में पिछले 2 साल से गतिरोध चल रहा है और दोनों तरफ से कुल करीब एक लाख सैनिक आमने-सामने हैं।
लद्दाख में LAC पर हुई गलवान घाटी की झड़प के करीब 2 साल बाद यह किसी वरिष्ठ चीनी नेता की पहली भारत यात्रा होगी। भारत से पहले वांग यी नेपाल की यात्रा करेंगे। भारत और चीन लगातार लद्दाख की स्तिथी को सुलझाने के लिए सैन्य स्तर की वार्ता कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई खास प्रगति नहीं हुई है।
भारत और चीन के बीच 5 मई 2020 को पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील इलाके में हिंसक झड़प के बाद तनाव बना था। फिर, 1 जून 2020 को गलवान घाटी की झड़प के बाद भारत और चीन के बीच तनाव कई सालों बाद चरम पर चला गया था जब कम से कम 20 भारतीय और 4 चीनी सैनिकों की मौत हो गई थी। एक रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि चीन के चार नहीं 42 सैनिक इस झड़प में मारे गए थे।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इससे पहले कहा था कि पिछले कुछ सालों में चीन और भारत के बीच के द्विपक्षीय संबंधों में कुछ समस्याएं आईं। चीन के विदेश मंत्री ने सीमा के मुद्दे पर आपसी मतभेदों को सुलझाने के लिए बराबर के हक के जरिए निष्पक्ष और न्यायसंगत समझौते की इच्छा भी जताई थी। उन्होंने यह भी कहा था कि कुछ शक्तियां भारत और चीन के बीच तनाव चाहती हैं। वांग यी का इशारा अमेरिका की तरफ था। चीन के विदेश मंत्री वांग यी की तरफ से कहा गया है कि भारत और चीन को “विरोधियों की बजाय साझेदार” होना चाहिए।
वहीं चीन की तरफ से समझौतों के उल्लंघन के बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जर्मनी के म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस (MSC)में कहा था कि भारत और चीन के संबंध बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि “सीमा के हालात आपसी रिश्तों के हालात तय करेंगे।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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