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May 16, 2025

सात मई को बनेगी दुश्मन से युद्ध वाली स्थिति, देशभर में गूंजेगी डरावने सायरन की आवाज, आपको करने होंगे ये काम

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में 28 लोगों की मौत के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव जारी है। दोनों ही देश कूटनीतिक स्तर पर एक दूसरे पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं। बात कहीं युद्ध तक ना पहुंच जाए, ऐसे में किसी भी प्रकार की परिस्थिति से निपटने के लिए भारत ने तैयारी कर दी है। इसके लिए सात मई को पूरे देशभर में मॉक ड्रिल होगी। इस दौरान मुख्य स्थलों, सरकारी कार्यालयों, थाना और चौकियों में एक साथ सायरन बजेंगे, जो किसी भी हवाई हमले की सूचना का माध्यम है। साथ ही लोगों को इसके लिए तैयार किया जाएगा कि युद्ध की स्थिति में उन्हें क्या करना चाहिए। वैसे पहले सरकारी कार्यालयों में दफ्तर खुलने, लंच के समय और शाम को छुट्टी के समय सायरन बजते थे। अब तो शायद लोग सायरन की आवाज भी भूल चुके होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एक तरफ तो पाकिस्तान में संसद की बैठक चल रही है तो वहीं, दूसरी तरफ भारत में केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने सोमवार पांच अप्रैल 2025 को बड़ा कदम उठाते हुए देश के कई राज्यों को नागरिकों की सुरक्षा के लिए मॉक ड्रिल (Civil Defence Drill) करने के निर्देश जारी किए हैं। गृह मंत्रालय की ओर से जारी निर्देश में कहा गया कि राज्य 7 मई 2025 को प्रभावी तरीके से नागरिक सुरक्षा के लिए मॉक ड्रिल का आयोजन करेंगे। ताकि किसी भी आपात स्थिति में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसे में पाठकों को सलाह है कि अगर 7 मई को अचानक कोई तेज और डरावनी सायरन की आवाज सुनें तो घबराएं नहीं। यह कोई आपात स्थिति नहीं, बल्कि एक मॉक ड्रिल यानी युद्ध जैसी स्थिति की तैयारी का अभ्यास है। इस दौरान एक ‘जंग वाला सायरन’ बजेगा, ताकि लोगों को बताया जा सके कि युद्ध या हवाई हमले जैसी स्थिति में क्या करना होता है? जंगवाला सायरन लगातार बजता रहता है और इसकी आवाज कम और ज्यादा होती रहती है। 1971 की जंग के बाद यह पहली बार है क‍ि भारत सरकार ने ऐसा मॉक ड्रिल करने का आदेश द‍िया है। ऐसे में आपके ल‍िए यह जानना जरूरी है क‍ि ये सायरन आखिर होता क्या है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस दौरान किए जाएंगे ये उपाय
1. हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन का संचालन।
2. शत्रुतापूर्ण हमले की स्थिति में खुद को बचाने के लिए नागरिक सुरक्षा पहलुओं पर नागरिकों, छात्रों आदि को प्रशिक्षण।
3. क्रैश ब्लैक आउट उपायों का प्रावधान।
4. महत्वपूर्ण संयंत्रों/प्रतिष्ठानों को समय से पहले छिपाने का प्रावधान
5. निकासी योजना का अद्यतनीकरण और उसका पूर्वाभ्यास (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

यहां से बजाए जाएंगे सायरन
ये सायरन आमतौर पर प्रशासनिक भवनों, पुलिस मुख्यालय, फायर स्टेशन, सैन्य ठिकानों और शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में ऊंचाई पर लगाए जाते हैं। इनका मकसद कि सायरन की आवाज ज्‍यादा से ज्‍यादा दूर तक पहुचाना होता है। दिल्ली-नोएडा जैसे बड़े शहरों में इन्हें खासतौर पर संवेदनशील इलाकों में लगाया जा सकता है। देश के हर शहर में इसे लगाया जा सकता है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में करीब 45 साल पहले तक सर्वे आफ इंडिया, आर्डिनेंस फैक्ट्री, एनआईवीएच, राजपुर रोड स्थित जल संस्थान सहित अन्य सरकारी कार्यालयों में सायरन बजाए जाते थे। अब तो हो सकता है कि कई स्थानों पर सायरन जंग खा चुके हों। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

युद्ध वाला सायरन
जंग वाला सायरन दरअसल एक तेज आवाज वाला वॉर्निंग सिस्टम होता है। यह युद्ध, एयर स्‍ट्राइक या आपदा जैसी आपात स्थिति की सूचना देता है। इसकी आवाज में एक लगातार ऊंचा-नीचा होता हुआ कंपन होता है, जिससे यह आम हॉर्न या एंबुलेंस की आवाज से बिल्कुल अलग पहचाना जा सके। जंग वाले सायरन की आवाज बेहद तेज होती है। आमतौर पर यह 2 से 5 किलोमीटर की रेंज तक सुनाई दे सकती है। आवाज में एक साइक्‍ल‍िक पैटर्न होता है। यानी यह धीरे-धीरे आवाज तेज होती है, फिर घटती है और ये क्रम कुछ मिनटों तक चलता है। एंबुलेंस का सायरन जहां 110-120 डेस‍िबल की आवाज करता है, वहीं जंग वाला सायरन 120-140 डेस‍िबल की आवाज करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भारत में सबसे पहले 1962 में हआ था उपयोग
भारत में जंग वाले सायरन का उपयोग 1962 के चीन युद्ध, 1965 और 1971 के भारत-पाक‍िस्‍तान जंग के दौरान किया गया था। इस दौरान नागरिक सुरक्षा संगठन की ओर से नागरिकों को सिखाया और समझाया जाता था कि दुश्मन के हमले के दौरान उन्हें क्या करना चाहिए। उस समय ये सायरन विशेष रूप से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और अमृतसर जैसे शहरों में लगाए गए थे। इसके अलावा कारगिल युद्ध के दौरान बॉर्डर से लगे इलाकों में इनका उपयोग क‍िया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जब सायरन बजे तो करें ऐसा
सायरन बजने का मतलब है कि लोग तुरंत सुरक्षित स्थानों की ओर रवाना हों। मॉक ड्रिल के दौरान आप पैन‍िक न हों। सिर्फ खुले इलाकों से हट जाएं। घरों या सुरक्षित इमारतों के अंदर जाएं। टीवी, रेडियो और सरकारी अलर्ट्स पर ध्यान दें। अफवाहों से बचें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। रात को सायरन बजने की स्थिति में घरों की लाइट बंद कर दें। ताकि रोशनी घर से बाहर ना दिखाई दे और शत्रु के जहाज को ये पता ना चल सके कि नीचे क्या है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

फिरोजपुर के छावनी क्षेत्र में बंद की गईं लाइट
पंजाब के फिरोजपुर में चार मई की रात 9 से 9:30 बजे तक छावनी क्षेत्र में लाइटें बंद कर दी गईं थीं। पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (PSPCL) के एक अधिकारी से अभ्यास के निर्धारित समय पर बिजली काटने को कहा। छावनी बोर्ड के अधिकारी ने एक पत्र में कहा कि आपसे अनुरोध है कि इस अवधि के दौरान पूर्ण ब्लैकआउट को देखते हुए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करें। इस रिहर्सल का उद्देश्य मौजूदा युद्ध खतरों के दौरान ब्लैकआउट प्रक्रियाओं को लागू करने में तैयारी और प्रभावशीलता सुनिश्चित करना है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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