उत्तराखंड के बाद अब यूपी में भी भाजपा सतर्क, आगामी चुनाव से पहले बैठकों का सिलसिला तेज, सरकार की छवि बनाने की कोशिश

कोरोनाकाल में पूरे देश भर में हुई भाजपा सरकारों की किरकिरी के बाद अब पार्टी संगठन सतर्क हो गया है। इसके छवि बनाने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया गया। अगले साल यूपी, उत्तराखंड सहित कई राज्यों में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अब संगठन के राष्ट्रीय नेताओं का जोर इन राज्यों पर है। उत्तराखंड में बैठकों के कई दौर के बाद कार्यकर्ताओं को जनता के बीच जाने के आदेश दिए गए। साथ ही उन्हें टास्क भी दिए गए। अब यूपी में भी बैठकों का दौर शुरू हो चुका है।
गौरतलब है कि दो सप्ताह पूर्व दिल्ली में पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में भाजपा संगठन और आरएसएस नेताओं की बैठक हुई थी। इसमें चर्चा की गई थी कि कोरोना की दूसरी लहर में सरकार की जो छवि खराब हुई, उसके समाधान के लिए अब कार्यकर्ताओं को जनता के बीच जाना होगा। कोरोना की पहली लहर में जिस तरह कार्यकर्ता घरों से निकले, अब फिर से उसी तर्ज पर सेवा कार्य करने होंगे। इसके तहत युवा मोर्चा के रक्तदान अभियान, विधायकों, मंत्रियों के गांव गांव जाने के अभियान पर जोर दिया गया था। खासकर उन राज्यों में जहां अगले साल चुनाव होने हैं। इसके बाद से ही राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा स्वयं राज्यों के कार्यकर्ताओं, विधायकों और सांसदों से लगातार वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बैठक कर फीडवैक लेते रहे।
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राज्य में बीजेपी की बैठकों का सिलसिला तेज हो गया है। मीटिंगों का यह दौर संकेत देता है कि पार्टी कोविड संकट से निपटने को लेकर सीएम योगी की आलोचना को लेकर चिंतित है। दिल्ली से लखनऊ पहुंचे दो बीजेपी नेता, बीएल संतोष और केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह सोमवार से शुरू हुई ‘फीडबैक ड्राइव’ के तहत उत्तर प्रदेश के मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं। पार्टी संगठन में महासचिव बीएल संतोष और राधा मोहन सिंह ने प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के साथ ही दोनों उपमुख्यमंत्रियों के साथ मुलाकात की। साथ ही कई मंत्रियों से अलग-अलग बात भी की। हालांकि इस बीच सूत्रों ने उन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है, जिसमें चुनाव से पहले सीएम योगी और दोनों उपमुख्यमंत्रियों को पद से हटाने की बात कही गई थी। बताया तो ये भी कहा जा रहा है कि कई विधायकों ने सरकार के कामकाज से असंतुष्ट होकर वरिष्ठ नेताओं से शिकायत भी की थी। इस पर संगठन की मजबूती पर जोर दिया जा रहा है।
सरकार और संगठन के कार्यों की समीक्षा
पार्टी की ओर से जारी बयान के अनुसार दोनों बीजेपी नेता प्रदेश में कोविड काल के दौरान पार्टी की ओर से किए गए राहत कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं। पिछले कुछ हफ्तों में योगी सरकार की ओर से सोशल मीडिया के माध्यम से विरोधियों के दावों पर जोरदार पलटवार किया जा रहा है। कोविड काल में विपक्ष ने योगी सरकार के नाकाम होने के आरोप लगाते हुए दावा किया था। प्रदेश सरकार के उदासीन बर्ताव के कारण दूसरी लहर में यूपी में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई।
विपक्ष को जवाब देने के लिए रणनीति
एक तरफ नदियों में तैरती लाशें और किनारों पर दफनाए गए शवों का मामला अंतराष्ट्रीय सुर्खियां बटोर चुका है। वहीं, दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश सरकार मीडिया पर गलत रिपोर्टिंग करने का आरोप लगाती रही है। सरकार का दावा है कोविड हालातों का जायजा लेने के लिए सीएम लगातार प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। दिल्ली से लखनऊ पहुंचे नेताओं ने जिन मंत्रियों से मुलाकात की है, उसमें राज्य के स्वास्थ्य मंत्री जयप्रताप सिंह भी शामिल हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दोनों नेताओं ने पार्टी और सरकार द्वारा कोविड को लेकर किए गए कामों को और ज्यादा प्रचारित करने को लेकर चर्चा की।
अपने ही विधायक ने उठाए थे सवाल
लखनऊ से 80 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में एक भाजपा विधायक ने पिछले हफ्ते कहा था कि उनके जैसे विधायकों की वास्तव में कोई गिनती नहीं है और मीडिया को बहुत सारे बयान उनके खिलाफ ‘देशद्रोह’ का मामला बन सकते हैं। विधायक राकेश राठौर से जब सालों से बंद ट्रामा सेंटर को दोबारा चलाने के प्रयासों पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि विधायकों की हैसियत ही क्या होती है, अगर मैं ज्यादा बोलूंगा तो मेरे खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हो जाएगा।
पंचायत चुनाव में हार की समीक्षा
सूत्रों के अनुसार दिल्ली से लखनऊ पहुंची टीम को पंचायत चुनावों में हार के कारणों का भी आंकलन करने की जिम्मेदारी दी गई है। भारतीय जनता पार्टी पंचायत चुनावों में मिली हार को बेहद गंभीरता से ले रही है। क्योंकि जिन इलाकों से पार्टी को हार का सामना करना पड़ा, वहां उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह पार्टी के अच्छे संकेत नहीं होंगे।
अपने गढ़ में ही किया हार का सामना
आगामी विधानसभा चुनावों से पहले पंचायत के चुनावों को जमीनी स्तर पर मिलने वाली प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है। अयोध्या और मथुरा में बीजेपी को झटका लगा था। मुख्यमंत्री के गृहक्षेत्र कहे जाने वाले गोरखपुर में भी नतीजे बीजेपी के पक्ष में नहीं थे। यहां की 68 सीटों में से 20 सीटों पर समाजवादी पार्टी को सफलता मिली थी, जबकि 23 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों को सफलता प्राप्त हो रही है। जबकि आप, कांग्रेस, निषाद पार्टी और बीएसपी के खाते में एक एक सीट आई है।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।