Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

April 25, 2025

अशासकीय शिक्षक और कर्मचारियों ने प्रदेश के 18 विद्यालयों के समक्ष किया प्रदर्शन

उत्तराखंड में अशासकीय कॉलेजों के शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारी लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। इसके तहत आज उन्होंने प्रदेश के सभी अशासकीय कॉलेजों के गेट के समक्ष मांगों के समर्थन में प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि उत्तराखंड के सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों में अनुदान की व्यवस्था पूर्व की भांति करने की जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक, 2020 में वर्तमान में लागू उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के कुछ महत्वपूर्ण प्रायोजन शामिल नहीं किए जाने से शिक्षको और कर्मचारियों को वेतन भुगतान की समस्या से जूझना पड़ रहा है।
साथ ही शिक्षकों का कहना है कि अशासकीय महाविद्यालयों में अनुदान की व्यवस्था समाप्त करने से ये महाविद्यालय बंदी की कगार में पहुंच जाएंगे। साथ ही उन हजारों छात्रों का भविष्य दांव पर लग जाएगा, जो निजी कॉलेज की फीस भरने में सक्षम नहीं हैं। इस मांग को लेकर आंदोलनरत शिक्षक और कर्मचारी जनप्रतिनिधियों से मिलकर भी अपनी समस्या रख रहे हैं। अभी तक सत्ता पक्ष के किसी भी जनप्रतिनिधि ने उनकी समस्या को उठाया नहीं। वहीं कांग्रेस ने आज घोषणा की है कि इस मामले को लेकर आंदोलन किया जाएगा।
अपनी मांगों लेकर लेकर शिक्षक तथा शिक्षेणत्तर कर्मचारी राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसदों एवं सचिवों को भी अपने ज्ञापन दे चुके हैं। कल एक प्रतिनिधिमंडल ने देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा से मिलकर अपने विषय को रखा। इसमें डॉक्टर यूएस राणा, डॉक्टर देवना शर्मा सहित शिक्षणेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहे।
शिक्षकों के मुताबिक सरकार के स्तर पर अभी भी किसी प्रकार की कार्यवाही ना होने पर शिक्षक और कर्मचारियों में आक्रोश है। आज भी प्रदेश के 18 अशासकीय कॉलेजों के शिक्षक तथा शिक्षणत्तर कर्मचारी आंदोलित रहे। अपने-अपने महाविद्यालयों में उन्होंने कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए आंदोलन के रूप में आज धरना सुबह 11 बजे कॉलेजों के गेट के समक्ष प्रदर्शन किया। इस दौरान शिक्षकों ने अपने उद्बोधन में सरकार की नीतियों का विरोध किया। साथ ही सरकार की ओर से लाए गए अंब्रेला अधिनियम में पूर्ण सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रदर्शन करने वालों में ग्रुटा के महामंत्री डॉ. डीके त्यागी, डॉ कौशल कुमार, डॉ राजेश पाल, डॉ एचबीएस रंधावा, डॉ एचवीपंत, डॉ सुंदर सिंह, डॉ जीपी डंग, डॉ संदीप नेगी, डॉ एसपी जोशी, डॉ ए आर सेमवाल, डॉ मृद्ला शर्मा, डॉ अतुल सिंह, डॉ हरिओम, डॉ शैली, डॉ सविता रावत, डॉ रवि शरण दीक्षित, शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह, सचिव धीरज कोटनाला , गोविंद रावत, बसंत बिष्ट, भगवान सिंह तोपवाल, पीएन जोशी, गीता रतूड़ी, महेंद्र सहित आदि शामल रहे। उधर शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के आंदोलन को छात्र संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया।

Website |  + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page