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December 14, 2024

नवरात्रि, मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा, उत्तराखंड में हैं कई सिद्धपीठः रामचंद्र नौटियाल

सनातन हिन्दू धर्म में हर ऋतु व मौसम में पूजन व आराधना का विधान है। इसी क्रम में नवदुर्गा रूप को देवताओं की शक्ति के रूप में माना जाता है। दुर्गा पूजा नवरात्रि भी वर्ष में तीन बार आती है।

सनातन हिन्दू धर्म में हर ऋतु व मौसम में पूजन व आराधना का विधान है। इसी क्रम में नवदुर्गा रूप को देवताओं की शक्ति के रूप में माना जाता है। दुर्गा पूजा नवरात्रि भी वर्ष में तीन बार आती है। एक शारदीय नवरात्र, दूसरी वासन्ती नवरात्र, तीसरी गुप्त नवरात्रि। शारदीय नवरात्र शरद ऋतु यानि आश्विन मास (सितम्बर-अक्टूबर) के आस-पास आती है। आजकल जो नवरात्रि चल रही है इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। चैत्र मास में जो नवरात्रि आती है इसमें रामनवमी भी आती है। क्योंकि चैत्र मास में मर्यादा पुरुषोत्तम परम आराध्य प्रभु श्री राम का जन्म हुआ था। आश्विन नवरात्रि में विजयादशमी (दशहरा) का पर्व बडी धूमधाम से पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। इस दिन आतताई रावण का वध करके व लंका पर विजयश्री प्राप्त करके प्रभु श्री राम अयोध्या लौटे थे।
चैत्र मास की नवरात्रि के प्रारम्भ में हिन्दू सनातन धर्म का नव वर्ष भी प्रारम्भ होता है। मां दुर्गा के नौ रूप शास्त्रों व पुराणों में बताए गये हैं। श्रीमद्भागवत महापुराण में जिस तरह परम आराध्य प्रभु श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन है, ठीक उसी तरह श्रीमद्भागवत में भी दुर्गा मां नौ रूपों व लीलाओं का मार्मिक वर्णन है। दुर्गा पूजा के अलग -अलग क्षेत्रों में अलग -अलग विधान है। इसमें नौ दिन तक उपवास रखा जाता है। फलाहार लेते हैं। कऊ उपवासी निराहार भी रहते हैं ।
बंगाल में खासकर मां दुर्गा के काली रूप की तान्त्रिक पूजा की जाती है। जम्मू में वेष्णो देवी की पूजा की जाती है। उत्तराखंड में नन्दादेवी, सुरकंडा देवी, रेणुका देवी, शक्तिमाता, कुटेटी देवी, कुंजापुरी, चन्द्रवदनी आदि देवियों की पूजा अर्चना की जाती है। शास्त्रों में उल्लेख है कि कनखल (हरिद्वार) में जब सती माता ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ कुण्ड में अपने शरीर की आहुति दी तो शंकर भगवान ने सती माता के शरीर को अपने कन्धे पर रखकर प्रचण्ड क्रोध मे आकर सती माता कै शरीर के टुकडे टुकडे कर दिये। कहा जाता है कि जहां जहां सती माता के शरीर के टुकडे गिरे वहां वहां सिद्धपीठ बनी।
उत्तराखंड में अधिकतर सिद्धपीठ हैं जैसे सुरकण्डा देवी, कुंजापुरी माता, चन्द्रबदनी माता आदि हैं। आस्था है कि मां दुर्गा के नवरात्रि के व्रत व पूजा से सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सुख समृद्धिदायक व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। भारतीय सेना में आज भी नवरात्रि के पर्व पर शक्ति प्राप्ति व विजय प्राप्ति के लिए शस्त्र पूजा की जाती है।
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्रयंबिके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

लेखक का परिचय
रामचन्द्र नौटियाल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गड़थ विकासखंड चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी में भाषा के अध्यापक हैं। वह गांव जिब्या पट्टी दशगी जिला उत्तरकाशी उत्तराखंड के निवासी हैं। रामचन्द्र नौटियाल जब हाईस्कूल में ही पढ़ते थे, तब से ही लेखन व सृजन कार्य शुरू कर दिया था। जनपद उत्तरकाशी मे कई साहित्यिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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