मई दिवस को श्रमिक संगठनों ने निकाली रैली, शहीदों को दी श्रद्धांजलि, 20 मई को होगी देशव्यापी हड़ताल

मई दिवस के मौके पर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में संयुक्त मई दिवस समारोह समिति के तत्वावधान में श्रमिक संगठनों ने रैली निकाली। साथ ही शिकागो के शहीद श्रमिकों को श्रद्धांजलि गई। इस मौके पर श्रम कानूनों की रक्षा के साथ ही 20 मई को होने वाली देशव्यापी हड़ताल को सफल बनाने का संकल्प लिया गया। रैली शुरु होने से पहले पहलगाम में आतंकवादी घटना में मारे गये लोगों की आत्मा शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। घटना को सम्प्रदायिक रंग देने कड़ी आलोचना कि गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून में ऐतिहासिक मजार के ध्वस्तीकरण की भी निंदा की गई। साथ ही सम्प्रदायिक तत्वों द्वारा कश्मीरियों को धमकाने की निंदा के साथ ही ऐसे लोगों को गिरफ्तार करने की मांग की गई। देहरादून के गांधी पार्क में हर वर्ष की तरह शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद यहां से रैली निकाली गई। रैली घंटाघर, पलटन बाजार, धामावाला, राजा रोड, गांधी रोड, दर्शन लाल चौक से राजपुर रोड से होते हुए पुनः गांधी पार्क पहुंचकर समाप्त हुई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मौके पर आयोजित सभा में सीटू के जिला महामंत्री लेखराज ने कहा कि एक मई 1886 में शिकागो शहर में पूंजीवादी सरकार की की ओर से काम के घंटे बांधने व अन्य मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे मजदूरों पर पुलिस ने गोलियां चलाई थी। इसमें कई मजदूर शहीद हो गए और बड़ी संख्या में श्रमिक घायल हो गये थे। श्रमिक लीडरों को गिरफ्तार कर जेलों में डाल दिया गया। ताकि आंदोलन को दबाया जा सके, किन्तु इसके बाद भी दुनिया मे मजदूरों का संघर्ष जारी रहा और काम के घंटे आठ किये जाने सहित कई श्रम कानूनों को बनाया गया। इससे मजदूरों को कुछ लाभ दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा काम के घंटे 12 करने के साथ -साथ 44 श्रम कानूनों में से 29 श्रम कानूनों को समाप्त कर 4 श्रम संहितायें बनाई गई हैं। जो कि पूर्ण रूप से मालिकों और पूंजीपतियों के हितों में बनाई गई है। इसके लागू होने से मजदूर गुलाम हो जाएगा। इसके लिए संघर्ष का प्रतीक मई दिवस हमेशा प्रेरणा स्रोत रहेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने ने कहा कि मई दिवस मजदूरों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा कि पूंजीवादी व्यवस्था में मजदूर अपने जीवन स्तर को उठाने के लिए संघर्ष करता है। वहीं पूंजीपति अपनी अकूत सम्पत्ति को मजदूरों का शोषण करके इकट्ठा करेगा। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने मजदूरों पर हमले किए। इससे देश मे बेतहाशा बेरोजगारी उतपन्न हो गई है। उन्होंने 20 मई 2025 को श्रम कानूनों को बचाने के लिए हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं ने कहा कि पूंजीवाद ने विश्वभर में मजदूरों को एक छत के नीचे खड़ा कर दिया। 1 मई 1886 में शिकागो शहर के मजदूरों के विद्रोह ने मेहनतकशों के जीवन में ऐतिहासिक परिवर्तन किया। मजदूरों की 8 घण्टे काम की मुराद पूरी हुई। इसका प्रचार इतना हुआ कि तबसे मजदूर दिवस पूरे विश्वभर में 1 मई मजदूर वर्ग की एकजुटता के रूप में मनाये जाने लगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वक्ताओं ने कहा है कि ट्रेड यूनियन अधिकारों के तहत भारत में वर्ष 1973 तक कारखानों, संस्थानों तथा सरकारी कार्यालयों में स्थायी रोजगार मिलता रहा है। इसके बाद इसमें भारी फेरबदल की प्रक्रिया की शुरूआत हुई। पूंजीवादी सरकारें धीरे – धीरे कारपोरेट एवं बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की पिछलग्गू बनने लगी। तथा कल्याणकारी राज्य की भावनाओं के खिलाफ खुलकर खड़ी होने लगी। सोवियत संघ में समाजवादी व्यवस्था पराभव का असर भारत सहित विश्व में दिखने लगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वक्ताओं ने कहा है कि अमेरिका की ओर झुकाव के चलते वर्ष 1991 में कांग्रेस के पीएम नरसिंम्हा राव ने पुरानी नीतियों को पलटना शुरू किया। देश में नीजिकरण तथा ठेकेदारी प्रथा लागू हुई। इसे संघ परिवार के नेतृत्व वाली भाजपा की मोदी सरकार ने बडे़ ही बेरहमी के साथ आगे बढ़ाकर बचे खुचे रोजगारों को ही नहीं, बल्कि पूरे ढांचे को ही तहस नहस कर कोरपोरेट को ओने पौने दामों लुटवाने की शुरुआत कर देश को कई वर्ष पीछे धकेलने का कार्य किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदर्शन में एटक के उपाध्यक्ष समर भंडारी, सीपीएम से किशन गुनियाल, सुरेन्द्र सजवाण, पूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष शिवप्रसाद देवली, सीपीएम से अनंत आकाश, एस.एस. रजवार, जगदीश छिमवाल, हिमांशु चौहान, राजेन्द्र पुरोहित, कृष्ण गुनियाल, लक्ष्मी नारायण, आशा यूनियन की प्रांतीय अध्यक्ष शिवा दुबे, सुनीता चौहान, भोजन माता यूनियन की प्रांतीय महामंत्री मोनिका, नितिन मलैठा, हिमान्शु चौहान, रविन्द्र नौडियाल, भगवन्त पयाल, ताजवर रावत, सुधीर कुमार, शैलेन्द्र, चित्रा गुप्ता, बुध्दि सिंह चौहान,रामसिंह भण्डारी, जगदीश प्रसाद, विनय मित्तल, अधिवक्ता संघ की अनुराधा सिंह, भीम आर्मी से गौरव राजोरिया, बंटी सूर्यवंशी, विवेक चंद गुड्डू सोलंकी सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।