ललित मोहन गहतोड़ी की कुमाऊंनी कविता-नाकुलि सिगानि लतौड़ि
नाकुलि सिगानि लतौड़ि
आंखुली गिदड़ि गिदड़ि लागी छैना…
नाकुली सिगानि लतौड़ि बगी छैना…
जर मुड़ा घुड़ पीड़ा
लागि हुनि रैगै
खोर भारी रात दिन
हुनै जानि रैगौ
मेरि भांगि मरज कसिकै
होलो कमा
नाकुली सिगानि लतौड़ि…
आंखुली गिदड़ि गिदड़ि…
कंपकंपी छुटि छुटि भांटा
पीड़ हुछि
भुख नै लागनि पसिनो
छुटछि
मुख भितरै स्वादि कति
केई नैईहाना
नाकुली सिगानि लतौड़ि….
आंखुली गिदड़ि गिदड़ि….
मौसमौं चकर यो कसो
बदलिछ
घमपानि घमपानि हुनि
जानिरूछ
आपनी करि लिया तुमा
भलि फामा
नाकुली सिगानि लतौड़ि….
आंखुली गिदड़ि गिदड़ि….
कभी किसी के दर्द को भी महसूस कर लिया करो यारो….
कवि का परिचय
नाम-ललित मोहन गहतोड़ी
शिक्षा :
हाईस्कूल, 1993
इंटरमीडिएट, 1996
स्नातक, 1999
डिप्लोमा इन स्टेनोग्राफी, 2000
निवासी-जगदंबा कालोनी, चांदमारी लोहाघाट
जिला चंपावत, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।