केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत का निधन, जानिए उनका राजनीतिक सफर
उत्तराखंड से एक दुखद समाचार मंगलवार की रात को आया। रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ विधानसभा से दो बार विधायक रहीं शैलारानी रावत का मंगलवार रात निधन हो गया। वह 68 साल की थीं। वह दो दिन से देहरादून स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती थीं। मंगलवार की देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली। विधायक के भाई व उत्तरांचल प्रेस क्लब के अध्यक्ष अजय राणा ने इसकी पुष्टि की है। उनका अंतिम संस्कार बुधवार को उनके पैतृक स्थान पर होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विधायक शैलारानी दो दिन से मैक्स अस्पताल में वेंटिलेटर पर थीं। रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर के बाद हुई सर्जरी के बाद से वह उभर नहीं पाई थी। बताया गया कि वर्ष 2017 में विस चुनाव प्रचार के दौरान शैलारानी रावत गिर गई थीं, जिससे उन्हें आंतरिक चोट आई थी। चोट से मांस फटने के कारण उन्हें कैंसर भी हो गया था। करीब तीन वर्ष तक चले इलाज के बाद वह स्वस्थ्य होकर अपने घर लौटी और फिर से राजनीति में सक्रिय हो गईं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कुछ माह पूर्व ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर की सीढ़ियों से गिरने के कारण उनकी रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर आ गया था। परिजन उन्हें हायर सेंटर ले गए। जहां उनकी सर्जरी की गई, पर वह सफल नहीं हो पाईं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजनीतिक सफर
शैलारानी ने 1996 में ब्लॉक प्रमुख अगस्तमुनि के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। वह 2003 में रुद्रप्रयाग की जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। कालीमठ बाढ से जिला पंचायत सदस्य रही। अपने शुरुआती राजनीतिक जीवन में उन्होंने कई बार राजनीतिक असफलता का भी सामना किया। 2002 में वह कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा का चुनाव हार गई। वर्ष 2007 में उन्हें टिकट नहीं मिला। आखिरकार 2012 में वह केदारनाथ विधानसभा का चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर लड़ी और जीत गईं। हरीश रावत की सरकार के दौरान कांग्रेस में हुई बगावत के समय शैलारानी भी पार्टी के नौ वरिष्ठ विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गईं। भाजपा ने 2017 विधानसभा चुनाव में उन्हें केदारनाथ सीट से टिकट दिया था, लेकिन वह हार गई थीं। 2022 में पार्टी ने उन्हें फिर प्रत्याशी बनाया। तब शैलारानी ने जीत दर्ज की थी। अब उनके निधन के बाद यह सीट खाली हो गई है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।