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October 28, 2025

जॉनसन एंड जॉनसन ने कोरोना टीके की भारत सरकार से मांगी अनुमति, सिर्फ एक डोज में कोरोना से बचाव

दवा निर्माता कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने भारत के दवा नियामक से कोरोना वायरस संक्रमण रोधी अपने टीके के तीसरे फेज के ट्रायल की अनुमति मांगी है। साथ ही आयात लाइसेंस की भी मांग की है।

दवा निर्माता कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने भारत के दवा नियामक से कोरोना वायरस संक्रमण रोधी अपने टीके के तीसरे फेज के ट्रायल की अनुमति मांगी है। साथ ही आयात लाइसेंस की भी मांग की है। कंपनी का टीका केवल एक खुराक डोज है। यानी एक टीका लगाने के बाद दोबारा टीकाकरण की जरूरत नहीं है। फिलहाल कुछ ब्लड क्लॉट के मामले सामने आने पर इस पर सवाल खड़े हो गए थे। अब यूरोपीय मेडिकल संघ ने इस दवा को क्लीन चिट दे दी है।
सूत्रों ने बताया कि कंपनी ने अपने आवेदन पर निर्णय के लिए केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोविड-19 संबंधी विशेषज्ञ समिति की बैठक शीघ्र बुलाने का आग्रह किया है। जॉनसन एंड जॉनसन ने यह आवेदन ऐसे वक्त में किया है, जब केंद्र सरकार ने उन सभी विदेशी टीकों को आपात इस्तेमाल की मंजूरी देने का फैसला किया है, जिनको विश्व स्वास्थ्य संगठन से अथवा अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन या जापान में नियामकों से इसी प्रकार की मंजूरी मिल चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक कंपनी ने 12 अप्रैल को ‘सुगम ऑनलाइन पोर्टल के जरिए ‘ग्लोबल क्लिनिकल ट्रायल डिवीजन में आवेदन किया था। कुछ जटिलताओं के चलते जॉनसन एंड जॉनसन ने सोमवार 19 अप्रैल को दोबारा आवेदन किया।
टीके की खासियत
जॉनसन एंड जॉनसन के टीके को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में 3 माह तक के लिए सुरक्षित रखा सकता है। कंपनी की ओर से बनाया जा रहा टीका केवल एक खुराक वाला है, जबकि देश में अब तक जिन तीन टीकों को मंजूरी दी गई है, वे दो खुराक वाले हैं।
ब्लड क्लॉट पर खड़े हुए थे सवाल
ब्लड क्लॉट की समस्या सामने आने के बाद जॉनसन एंड जॉनसन की कोरोना वैक्सीन पर सवाल खड़े हो गए थे। मगर यूरोपीय मेडिकल संघ (EMA) ने अब उसे क्लीन चिट दे दी है। EMA ने कहा है कि ब्लड क्लॉट को ‘अत्यंत दुर्लभ’ श्रेणी में डाला जाना चाहिए। साथ ही जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन के जोखिम से ज्यादा फायदे ज्यादा हैं।
जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन लगवाने के बाद अमेरिका में खून के थक्के जमने के मामले सामने आए थे। इस वैक्सीन से कुछ लोगों की मौत की भी खबर आई थी। इसके बाद अमेरिका ने इस वैक्सीन पर अस्थायी रोक लगा दी थी। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया ने भी जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन को खरीदने से इनकार कर दिया था।
यूरोप में टाली गई थी वैक्सीन की योजना 
ब्लड क्लॉट के मामले सामने आने के बाद जॉनसन एंड जॉनसन ने यूरोप में अपनी वैक्सीन लाने की योजना को टाल दिया था। इस सिंगल डोज वैक्सीन की हजारों खुराक यूरोप पहुंचनी थी। इसके बाद यूरोपीय चिकित्सा एजेंसी ने जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन से खून का थक्के जमने के मामलों की समीक्षा करनी शुरू कर दी थी।
अमेरिका में भी समीक्षा
अमेरिकी एजेंसी FDA भी इस वैक्सीन से होने वाली ब्लड क्लॉट की समस्या की समीक्षा में जुटी है। अमेरिका की CDC ने बीते हफ्ते एडवाइजरी जारी कर इसे रोक दिया था। एफडीए ने कहा था कि वह इसकी समीक्षा करेगी और ब्लड क्लॉट के मामलों की जांच करेगी। प्रक्रिया पूरी होने तक वैक्सीन को अमेरिका में रोकने का फैसला किया गया था। अमेरिका में कई क्लीनिक पहले ही जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन पर रोक लगा चुके थे।
कई प्रांत में सामने आए मामले
अमेरिका के कई प्रांतों में ब्लड क्लॉट के मामले सामने आए थे। जॉर्जिया के क्यूमिंग्स में 8 लोगों को वैक्सीन लगवाने के बाद समस्या हुई थी। हालांकि यहां 425 लोगों को जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन लगाई गई थी। इसी तरह अमेरिका के कोलोराडो में 11 लोगों में यह लक्षण दिखे। बाद में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। नॉर्थ कैरोलिना में भी 18 लोगों में समस्या सामने आई थी।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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