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September 15, 2024

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवसः पत्नी ने किडनी देकर बचाई पति की जान, जानिए कौन कर सकता है किडनी दान

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बिजनौर उत्तर प्रदेश की रिंकी देवी (30 वर्ष)। रिंकी देवी ने अपने पति को किडनी दान करके उनकी जान बचाई।

आज विश्व महिला दिवस है। इस दिवस को मनाने का असल मकसद है समाज व परिवार निर्माण में महिलाओं के अदृश्य संघर्ष को सम्मान देना। ऐसे ही सम्मान की हकदार हैं बिजनौर उत्तर प्रदेश की रिंकी देवी (30 वर्ष)। रिंकी देवी के पति राहुल (33 वर्ष) की दोनों किडनियां खराब हो चुकी थी। ऐसे में अपने पति के जीवन पर आए संकट को दूर करने के लिए रिंकी देवी ने उन्हें एक किडनी दान की। देहरादून के डोईवाला स्थित हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट में सफलतापूर्वक किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। अब दोनों पति-पत्नी पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
उत्तर प्रदेश के बिजनौर निवासी रिंकी देवी के पति राहुल (38) की कुछ माह से अचानक तबियत खराब हो गई। उपचार को उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड के कई हॉस्पिटलों के चक्कर लगाने के बाद अपने पति को उपचार के लिए हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट लेकर आई। यहां पर नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ.शहबाज अहमद ने राहुल के जरुरी स्वास्थ्य परीक्षण करवाए। इसमें पता चला कि उसकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं।
पति के जीवन पर संकट को देखते हुए पत्नी रिंकी देवी ने उन्हें अपनी किडनी देने का फैसला किया। इसके बाद हॉस्पिटल में यूरोलॉजी-नेफ्रोलॉजी की एक संयुक्त टीम बनाई गई। वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ. किम जे. ममिन ने बताया कि राहुल के ब्लड ग्रुप से उनकी पत्नी रिंकी देवी के ब्लड ग्रुप का मिलान हुआ। ऑपरेशन के बाद रिंकी देवी की किडनी उनके पति राहुल को ट्रांसप्लांट कर दी गई। एनिस्थिसिया विभागाध्यक्ष डॉ. वीना अस्थाना ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट की सर्जरी के दौरान दोनों को बेहोशी देना भी चुनौती भरा होता है। करीब पांच घंटे की सर्जरी के बाद पति-पत्नी दोनों स्वस्थ हैं।
यह रही टीम
सर्जरी को सफल बनाने में वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ.किम जे. ममिन, वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ.शहबाज अहमद, एनिस्थिसिया विभागाध्यक्ष डॉ. वीना अस्थाना सहित डॉ.राजीव सरपाल, डॉ.शिखर अग्रवाल, डॉ.विकास चंदेल का योगदान रहा। कुलपति डॉ.विजय धस्माना व चिकत्सा अधीक्षक डॉ.एसएल जेठानी ने किडनी के सफल ट्रांसप्लांट के लिए डॉक्टरों की टीम को बधाई दी।
देखा नहीं गया पति का दर्द
रिंकी देवी ने कहा कि जब भी पति राहुल को किडनी की परेशानी से दुखी देखती थी तो उनके दर्द का एहसास मुझे भी होता था। अपने पति का जीवन बचाने के लिए मैंने अपनी किडनी देने का निर्णय लिया”।
पत्नी ने दिया नया जीवन
राहुल कहते हैं कि मुझे पत्नी के त्याग के कारण ही नया जीवन मिला है। मुझे पत्नी पर गर्व है। ईश्वर उसे लंबी उम्र दे, यही मेरी कामना है।
कोरोना काल के बाद पहला किडनी ट्रांसप्लांट
वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ. किम जे ममिन ने बताया कि कोरोना काल शुरू होने के बाद हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट में भी किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया रोक दी गई थी। इसके बाद से मरीजों को भारी परेशानी हो रही थी। हिमालयन हॉस्पिटल ने सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया को फिर से शुरू कर दिया है। कोरोना काल शुरू होने के बाद यह पहला किडनी ट्रांसप्लांट है। जल्द ही अन्य मरीजों को भी किडनी ट्रांसप्लांट की जाएंगी।
किडनी दान करने में भी मातृ शक्ति अव्वल
हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट में वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ.शहबाज अहमद ने कहा कि अपनों के जीवन पर आए संकट को बचाने में मातृ शक्ति ही अग्रणी है। हिमालयन हॉस्पिटल में अब तक हुए कुल किडनी ट्रांसप्लांट में करीब 70 फीसदी ट्रांसप्लांट में मां, पत्नी, बहन के रुप में मातृ शक्ति ने ही अपनी किडनी दान की है।
सेहत का रखें विशेष ध्यान
हिमालयन हॉस्पिटल के वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ.शहबाज अहमद के मुताबिक किडनी ट्रांसप्लांट के बाद जीवन परिवर्तित जीवन शैली, नियमित दवाइयों, खाने-पीने में परहेज, साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखना, संक्रमण से बचाव आदि पर ही निर्भर करता है। इसमें इंफेक्शन व रिएक्शन का खतरा हमेशा बना रहता है। इसलिए बहुत सतर्क रहने की आवश्यकता होती है।
डायलिसिस से बेहतर है किडनी ट्रांसप्लांट
वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ. किम जे ममिन का कहना है कि किसी भी किडनी मरीज व उसके परिजनों के लिए डायलिसिस से बेहतर है किडनी ट्रांसप्लांट। ट्रांस्पलांट के बाद मरीज की शारिरीक परेशानियां भी कम हो जाती हैं। नॉर्मल वे में खून बनता रहता है। जिससे बार खून नहीं चढ़ाना पड़ता। दूसरा, डायलिसिस पर करीब पांच साल में जितना खर्च होता है, उसकी आधी कीमत पर किडना ट्रांसप्लांट हो जाता है।
कौन कर सकता है किडनी दान
-20 से 60 वर्ष के बीच का स्वस्थ व्यक्ति, ओ ब्लड ग्रुप के मरीज सर्वदाता होते हैं, जबकि एबी ब्लड ग्रुप के मरीज सर्वग्राही।
-कानून परिवार (पति-पत्नी, माता-पिता, बेटा-बेटी, दादा-दादी, भाई-बहन) का कोई भी सदस्य जिसका मरीज से ब्लड ग्रुप मैच करे।
-ब्लड ग्रुप न मिलने पर दूसरे मरीज के पारिवारिक सदस्यों से मेल खाता हुआ गुर्दा लिया जा सकता है, इसे स्वैपिंग कहते हैं।
-परिजनों की इच्छा पर ब्रेन डेड मरीज की किडनी दान की जा सकती है।
शरीर में किडनी का काम
हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट के वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ. किम जे ममिन के मुताबिक गुर्दे यानी किडनी हमारे शरीर के मास्टर केमिस्ट और होमियोस्टेटिक अंग होते हैं। शरीर में रक्त साफ करने की प्रक्रिया के साथ पानी की मात्रा संतुलित करना, रक्तचाप, मधुमेह को नियंत्रित करना, शरीर में से अवशिष्ट व विषैले पदार्थों को मूत्र द्वारा बाहर करना तथा आवश्यक पदार्थ विटामिन्स, मिनरल्स, कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम इत्यादि को वापस शरीर में भेजकर इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित करना इसका कार्य है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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