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February 8, 2025

हिंदी एप पर लिखने का बढ़ा चलन, दून के भूपेंद्र डोंगरियाल हैं चर्चित नाम, उनकी रचनाओं को हाथों हाथ ले रहे हैं पाठक

इन दिनों किताबों को छपवाने की बजाय इंटरनेट के माध्यम से रचनाओं को पाठकों के बीच पहुंचने का तरीका लेखकों ने अपना लिया है। क्योंकि समय के साथ तौर तरीके भी बदल रहा हैं। कागज और कलम की जगह कीबोर्ड ने ले ली है। ऐसे में इन दिनों प्रतिलिपि हिन्दी एप्प पर लिखने वाले हिन्दी भाषी रचनाकारों को भी पाठक सम्मान दे रहे हैं। इनमें एक चर्चित नाम है भूपेन्द्र डोंगरियाल। उत्तराखंड निवासी भूपेन्द्र डोंगरियाल मूलतः जनपद अल्मोड़ा के अत्यन्त दुर्गम पट्टी सल्ट, ग्राम बल्यूली के निवासी हैं। वह प्रतिलिपि पर तीन सौ से अधिक कहानियाँ, छः उपन्यास, सौ से अधिक लेख एवं पाँच सौ से अधिक कविताएं लिखी चुके हैं। (जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

प्रतिलिपी पर लिखे उपन्यास उनके “बड़ी बहू” एवं “कुलक्षिणी नार” को देश और विदेश के पाठकों ने बहुत पसन्द किया जा रहा है। उनकी लिखी गयी अधिकांश रचनाएं ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित होती हैं। इन कहानियों में सामाजिक व पारिवारिक जीवन के साथ-साथ स्त्री-विमर्श व पलायन को भी बड़े सजीवता के साथ दर्शाया जाता है। वर्जिन साहित्यपीठ द्वारा अब तक इनकी पाँच ई-बुक काव्य संग्रह एवं लघु कहानी संग्रह के रूप में प्रकाशित की जा चुकी हैं। (जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

इन पांच ई बुक्स को पाठकों ने लिया हाथों हाथ
भूपेन्द्र डोंगरियाल की पाँच ई-बुक्स वर्जिन में-माघ की काली रात, मन की यात्रा, बचपन, स्वप्न या पुनर्जन्म, जलती जवानी चलता भिखारी, को साहित्य पीठ ने प्रकाशित किया है। जो गूगल प्ले बुक और अमेजन पर उपलब्ध हैं। हालांकि, इन किताबों को की पाठक संख्या का ब्योरा प्रकाशक के पास ही है। इनके अलावा प्रतिलिपि पर “बड़ी बहू” उपन्यास को अभी तक 3.5 मिलियन बार पढ़ा गया है। वहीं, कुलक्षिणी नार को करीब पौने पाँच लाख बार पढ़ा जा चुका है। आजकल वह नया उपन्यास “कुनबा” आजकल लिख रहे हैं।(जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

भूपेन्द्र डोंगरियाल की प्रतिलिपि पर चर्चित रचनाएं
बड़ी बहू (उपन्यास)
कुलक्षिणी नार (उपन्यास)
अनोखा शैतान (उपन्यास)
कुनबा (उपन्यास)
आतिशी हूर (उपन्यास)
सपनों का शहर (उपन्यास)
नौ दिन सौ कहानी (कहानी संग्रह)
कलम की गुश्ताखी (लेख एवं व्यंग)
मुर्दाराम अनाथ (कहानी)
गुरु धर्म (कहानी)
खूनी तिराहे का सच (कहानी)
चिटमिलु आसमान (गढ़वाली काव्य संग्रह)
मेरा परिचय मेरी अपनी कहानी (कहानी संग्रह) (जारी, अगले पैरे में देखिए)

बड़ी बहू उपन्यास पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें-


जब भी समय मिलता है, बैठ जाते हैं लिखने
भूपेन्द्र डोंगरियाल बताते हैं कि उन्हें जब भी समय मिलता है, वह अपनी कल्पनाओं और भावों को शब्दों में पिरोकर नित्य नई कहानियाँ व कविताएँ लिखते रहते हैं। वह देहरादून आइटीआइ में अनुदेशक के पद पर कार्यरत हैं। नौकरी की व्यस्तता के बीच वह लेखन के लिए समय निकाल लेते हैं। उनका मानना है कि प्रकाशकों द्वारा जिस किसी नए रचनाकार को साहित्य के क्षेत्र में कोई अहमियत नहीं दी जाती है, उन्हें भी अपनी रचनाओं को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर प्रकाशित करके पाठकों के बीच अपना स्थान खुद बनाना चाहिए। (जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

लेखक परिचय
नाम- भूपेन्द्र डोंगरियाल
पिता का नाम- स्वर्गीय श्री अम्बा दत्त
जन्मतिथि- 05 अगस्त 1972
जन्म स्थान- ग्राम- बल्यूली, जनपद-अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड।
वर्तमान पता- आई0 टी0 आई0 कैम्पस, निरंजनपुर, देहरादून
शैक्षिक योग्यता- हिन्दी में स्नातकोत्तर
तकनीकी योग्यता- वायरमैन व्यवसाय में सीटीआई
व्यवसाय- उत्तराखण्ड राज्य सरकार के सेवायोजन एवं प्रशिक्षण अनुभाग में अनुदेशक के पद पर कार्यरत
अभिरुचि- हिन्दी में लेखनकार्य
लेखन कार्य- वर्जिन साहित्यपीठ के सौजन्य से अभी तक निम्नलिखित पाँच ई बुक्स प्रकाशित हो चुकी हैं :-
(क)- काव्य संग्रह- 1- मन की यात्रा 2- बचपन
(ख)- कहानी संग्रह- 1-माघ की काली रात 2-स्वप्न या पुनर्जन्म
(ग)- उपन्यास – जलती जवानी चलता भिखारी
मोबाइल नम्बर-
8755078998
8218370117

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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