यहां है दुनिया का सबसे छोटा साम्राज्य, राजा पहनता है हाफ़ पैंट, नहीं है कोई प्रजा, पहचानना है मुश्किल

क्या आप विश्वास करेंगे कि दुनिया में एक ऐसा भी आइलैंड है जो बेहद छोटा है, मगर वो एक राजा का साम्राज्य हुआ करता था। आज भी इस राजा का परिवार यहां रहता है जो खुद को इस आइलैंड का रक्षक बताता है। इस साम्राज्य में कोई प्रजा नहीं थी। जो यहां का राजा था, वो अपनी दो बीवियों के साथ छुपने आया था। हम आपको बताते हैं कि ये साम्राज्य कहां है। इटली के सार्डिनिया में एक छोटा-सा द्वीप है। जहां किंगडम ऑफ़ टवोलारा नाम का एक छोटा साम्राज्य है। जानकर हैरानी होगी कि यह तब से अस्तित्व में है, जब इटली को एक देश का दर्जा प्राप्त नहीं हुआ था। इस साम्राज्य का विस्तार ‘टवोलारा’ नाम के छोटे से द्वीप तक ही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अम्यूजिंग प्लैनेट वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार टवोलारा को दुनिया का सबसे छोटा किंगडम यानी साम्राज्य माना जाता है। इटली के सार्डीनिया के तट से कुछ दूर गल्फ ऑफ ऑल्बिया में एक सुनसान सा आइलैंड है। इस आइलैंड का नाम है टवोलारा। पांच स्क्वायर किलोमीटर में फैला ये आइलैंड कभी बिल्कुल सुनसान हुआ करता था। बीबीसी के अनुसार 1807 में Giuseppe Bertoleoni नाम का आधा चरवाहा और आधा समुद्री लुटेरा यहां सबसे पहले रहने आया था। उसने दो बहनों से शादी की थी। अपनी बहुविवाह को समाज से छुपाने के लिए यहां छुपकर रहने आया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

राजा बनकर रहने लगा बेटा
जब परिवार यहां पहुंचा तो उन्हें पता चला कि इस आइलैंड पर अनोखी बकरियां रहती हैं। इनके दांत पीले रंग के होते हैं। दांत पीले होने का कारण ये था कि वो समुद्री शैवाल और लाइकेन खाते थे। उससे दांत पीले हो जाते थे। इस बात की खबर सार्डीनिया के राजा कार्लो अल्बर्टो को लग गई। 1836 में जब वो राजा यहां इस जीव का शिकार करने पहुंचा, तो उसका स्वागत जियुसेप के बेटे पाओलो ने किया। पाओलो ने उस वक्त खुद को तावोलारा के राजा के तौर पर संबोधित किया। सार्डीनिया के राजा, पाओलो के घर पर तीन दिन रहे और कई बकरियों का शिकार भी किया। जब वो वहां से जाने लगे, तो उन्होंने पाओलो से कहा कि वो वाकई उस आइलैंड का राजा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज भी आइलैंड को संभालता है राजा का परिवार
कुछ सालों बाद जब इस परिवार को यहां से हटाने की बात हुई तब पाओलो टूरिन गया और वहां जाकर उसने कार्लो एल्बर्टो से मुलाकात की। उसने राजा से एक स्क्रॉल, यानी राजाओं की सूची ली, जिसमें पाओलो को आइलैंड का राजा माना गया था। 1900 के दौर में जब रानी विक्टोरिया, विश्व लीडर्स के फोटोग्राफ कलेक्ट कर रही थीं, तब उन्होंने अपने पर्सनल फोटोग्राफर को आइलैंड पर राजा की फोटो खींचने के लिए भेजा था। परिवार की फोटो आज भी बकिंघम पैलेस में टंगी हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
1934 में बर्टोलियोनी परिवार की संप्रभुता तब खत्म हुई जब उस आइलैंड को इटली ने अपने कब्जे में कर लिया। फिर 1962 में नाटो ने आइलैंड के एक हिस्से में अपना बेस बना लिया। आज के वक्त में परिवार के पास सिर्फ 50 हेक्टेयर जमीन है। अब वो खुद को आइलैंड का राजा नहीं, बल्कि रक्षक बताते हैं। आइलैंड पर दो रेस्टोरेंट हैं, और इसी परिवार के लोग इसे मैनेज करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजा की ज़ुबानी उनका इतिहास
एंतोनियो बर्तलिओनी के मुताबिक़, 1807 में उनके परदादा के परदादा (गुसेप बर्तलिओनी) दो बहनों से शादी करके इटली से यहां भागकर आ गए थे। उस समय इटली को एक देश का दर्जा प्राप्त नहीं था। वहीं, सार्डिनिया एक साम्राज्य के तौर पर विकसित हुआ था। जहां दो शादियां करना पाप था। इसलिये, गुसेप बर्तलिओनी इस द्वीप पर आकर बस गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नाममात्र की है आबादी, नहीं पहचान पाओगे राजा को
आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया की इस सबसे छोटी रियासत में केवल 11 लोग ही रहते हैं। यह साम्राज्य केवल 5 वर्ग किमी में ही फैला है। अगर आप यहां पहुंचते हैं, तो शायद यहां के राजा को पहचान न पाओ। एक राजा के लिए आपकी कल्पना से बिल्कुल उलट हैं यहां के बादशाह। यहां के राजा का नाम है एंतोनियो बर्तलिओनी। एंतोनियो बर्तलिओनी एक आम इंसान की तरह ही दिखते और रहते हैं। वह साधारण व्यक्ति की तरह ही कपड़े पहनते हैं। कई बार वह हॉफ पेंट में भी दिखते हैं। आपको बता दें कि एंतोनियो बर्तलिओनी को एक राजा के तौर पर मुफ़्त भोजन ही मिलता है। वो अपना एक छोटा रेस्टोरेंट चलाते हैं और चप्पल और हाफ़ पैंट में ही दिन का ज्यादा समय बिताते हैं। उनकी अपनी नाव भी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
फेरी सर्विस
बता दें कि इस छोटी रियासत के राजा अपने परिवार के बाकी सदस्यों के साथ इटली से टवोलारा द्वीप तक फ़ेरी सर्विस चलाते हैं। परिवार के बाकी सदस्य समुद्र से मछली भी पकड़ते हैं, जिन्हें पकाकर वो सैलानियों को परोसते हैं। यहां सैलानियों का आना-जाना लगा रहता है। यहां सैलानी ज्यादातर दुर्लभ बकरी और बाज़ की प्रजाति को देखने के लिए यहां आते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सैनिक अड्डा
माना जाता है कि 1962 में नैटो (NATO) का एक सैनिक अड्डा यहां बनाया गया, जिससे इस छोटी-सी रियासत की संप्रभुता ख़तरे में आ गई। यहां के अधिकांश हिस्सों को रिस्ट्रिक्टेड ज़ोन बना दिया गया, जहां किसी के आने-जाने पर पाबंदी है। वहीं, इटली ने कभी इसे अपना औपचारिक हिस्सा नहीं बनाया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।