गुजरात हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राहत देने से किया इनकार, गर्मियों की छुट्टी के बाद आएगा फैसला
गुजरात हाईकोर्ट ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को राहत देने से इनकार कर दिया है। राहुल गांधी मोदी सरनेम को लेकर सूरत कोर्ट की ओर से सुनाई गई सजा के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे थे। सूत्रों के अनुसार गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि उन्हें किसी तरह से राहत नहीं दी जा सकती है। हम इस मामले को लेकर गर्मी की छुट्टी के बाद फैसला सुनाएंगे। राहुल गांधी ने सूरत कोर्ट के फैसले के खिलाफ 25 अप्रैल को गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बता दें कि इससे पहले राहुल गांधी की तरफ से सजा रद्द करने के लिए सूरत कोर्ट में दलील भी पेश की गई थी। उस दौरान राहुल गांधी की तरफ से कोर्ट में दूसरी दलील यह दी गई थी कि मानहानि के मामले में किसी खास व्यक्ति के सम्मान को ठेस पहुंचाने का आरोप स्पष्ट होना चाहिए। आमतौर पर की गई टिप्पणी या बड़े दायरे को समेटने वाली टिप्पणी को इसमें शामिल नहीं किया जा सकता। कोलार की रैली में राहुल गांधी ने बड़े दायरे को समेटने वाली टिप्पणी की थी। राहुल का ये बयान ठीक वैसा ही है जैसा लोग आम बोलचाल में बोल देते हैं कि नेता तो भ्रष्ट होते हैं। पंजाबी लोग तो बड़े झगड़ालू होते हैं। ‘बंगाली लोग काला जादू करते हैं। ऐसे में अगर कोई नेता, पंजाबवासी या बंगालवासी देश की किसी कोर्ट में जाकर मुकदमा कर दे कि इससे मेरी मानहानि हुई है, तो इसे मानहानि नहीं कहा जा सकता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूरत कोर्ट में राहुल गांधी के वकील ने कहा था कि ऐसा दावा किया जाता है कि पूरे भारत में 13 करोड़ मोदी हैं। मोदी सरनेम कोई संघ नहीं है, लेकिन कहा गया है कि 13 करोड़ से अधिक मोदी हैं। मोदी को मामला नहीं है। गोसाई एक जाति है और गोसाई जाति के लोगों को मोदी कहा जाता है। राहुल की तरफ से वकील ने कहा था कि मोदी बिरादरी क्या है, इसे लेकर बहुत भ्रम है। अगर हम इस समूह की पहचान करने की कोशिश करते हैं, तो सबूत हमें भ्रमित करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राहुल गांधी के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया था कि राहुल की मोदी सरनेम पर टिप्पणी को लेकर मानहानि का केस उचित नहीं था। साथ ही केस में अधिकतम सजा की भी जरूरत नहीं थी। सीनियर एडवोकेट आरएस चीमा ने कहा था कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 389 में अपील लंबित होने पर सजा के निलंबन का प्रावधान है। उन्होंने कहा था सत्ता एक अपवाद है, लेकिन कोर्ट को सजा के परिणामों पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि कोर्ट को इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या दोषी को अपूरणीय क्षति होगी। ऐसी सजा मिलना अन्याय है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है मोदी सरनेम वाले बयान का मामला
गौरतलब है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 2019 में दर्ज ‘मोदी सरनेम’ वाले आपराधिक मानहानि के मामले में गुजरात के सूरत की जिला कोर्ट ने कल 23 मार्च 2023 को दोषी करार दिया था। साथ ही उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई और हाथों हाथ बेल भी दे दी गई थी। साथ ही उन्हें कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ 30 दिन की अपील का समय दिया गया। राहुल गांधी ने कोर्ट में साफ कहा कि मैं माफी नहीं मांगूंगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यह मामला राहुल गांधी की ओर से दिए गए ‘मोदी उपनाम’ संबंधी टिप्पणी से जुड़ा है। राहुल के खिलाफ यह मामला उनकी उस टिप्पणी को लेकर दर्ज किया गया है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था-क्यों सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही होता है? इस मामले में जब फैसला सुनाया गया, तब कांग्रेस सांसद राहुल गांधी सूरत जिला न्यायालय में मौजूद रहे। उन्हें ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए 30 दिन की मोहलत देते हुए उनकी सजा को निलंबित किया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूरत की सत्र अदालत ने कांग्रेस नेता को दोषी ठहराये जाने के फैसले पर रोक लगाने की उनकी अर्जी 20 अप्रैल को खारिज कर दी थी। गांधी इस मामले में फिलहाल जमानत पर हैं। वहीं, लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की सदस्यता को रद्द कर दिया था। साथ ही उन्हें 22 अप्रैल तक सरकारी आवास खाली कराने का नोटिस दिया गया था। इसके बाद उन्होंने आवास भी खाली कर दिया था। राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।