पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल का निधन, दो दिन राष्ट्रीय शोक, जानिए उनका जीवन संघर्ष, विरोधियों के लिए लगवा दिया टैंट
पंजाब के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके और और शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता प्रकाश सिंह बादल का निधन हो गया है। वह 95 साल के थे। पंजाब में हिंदू-सिख एकता के अग्रदूत कहे जाते बादल को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद पिछले हफ्ते ही मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती किया गया था। तकलीफ बढ़ने पर शुक्रवार को उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था। अस्पताल के मुताबिक उन्होंने मंगलवार 25 अप्रैल की रात करीब आठ बजे अंतिम सांस ली। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दो दिन का राष्ट्रीय शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई दिग्गज राजनेताओं ने बादल के निधन पर दुख जताया। केंद्र सरकार ने बादल के निधन पर दो दिन (26 और 27 अप्रैल) के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और सरकारी मनोरंजन का कार्यक्रम नहीं होगा। अकाली दल के मीडिया सलाहकार जंगबीर सिंह ने बादल के निधन की पुष्टि की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पैतृक गांव में होगा अंतिम संस्कार
पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव बादल में वीरवार को दोपहर एक बजे किया जाएगा। पार्टी प्रवक्ता ने बताया कि उनका शव बुधवार सुबह 10 बज शिरोमणि अकाली दल के मुख्य दफ्तर सेक्टर 28 चंडीगढ़ में रखा जाएगा। इसके उपरांत दोपहर 12 बजे एक काफिले के रूप में गांव बादल के लिए वाया पटियाला, संगरूर, बरनाला व बठिंडा से होते हुए मुक्तसर जिले के उनके पैतृक गांव बादल में पहुंचेगा। जहां वीरवार दोपहर एक बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जूझ रहे थे दमे की समस्या से
दमा की समस्या गंभीर होने के कारण बादल को सांस लेने में तकलीफ़ हो रही थी, इसलिए इस महीने की 16 तारीख़ को उन्हें मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 18 अप्रैल को उनकी स्थिति बिगड़ने के बाद उन्हें आईसीयू में स्थानांतरित किया गया था। फोर्टिस अस्पताल, मोहाली की ओर से जारी एक मेडिकल बुलेटिन में बताया गया कि डॉ दिगंबर बेहरा के नेतृत्व में कई विभाग के डॉक्टर उनके इलाज में जुटे थे, लेकिन सभी उपाय करने के बाद भी उन्हें बचाया न जा सका। अस्पताल ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी जताया दुख
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन पर ट्वीट करके शोक जताया। उन्होंने कहा कि प्रकाश सिंह बादल आजादी के बाद से सबसे बड़े राजनीतिक दिग्गजों में से एक थे। हालांकि, सार्वजनिक सेवा में उनका अनुकरणीय करियर काफी हद तक पंजाब तक ही सीमित था, लेकिन देश भर में उनका सम्मान किया जाता था। उनका निधन एक शून्य छोड़ गया है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विट किया कि प्रकाश सिंह बादल का निधन मेरी निजी क्षति है। मेरा उनसे कई दशक से क़रीबी संपर्क रहा और उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। मुझे उनसे हुई कई बातचीत याद है, जिसमें उनकी समझदारी साफ़ तौर दिखती थी। उनके परिजन और उनके अनगिनत प्रशंसकों के प्रति हमारी संवेदनाएँ हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जीवन परिचय
प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसंबर 1927 को पंजाब के बठिंडा के अबुल खुराना गांव में हुआ था। बताया जाता है कि वो प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहते थे, लेकिन अकाली नेता ज्ञानी करतार सिंह से प्रभावित होकर वो राजनीति में आ गए। उन्होंने 1947 में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत गांव के सरपंच के रूप में की। वह दशकों तक पंजाब की राजनीति का अहम चेहरा बने रहे। प्रकाश सिंह बादल ने अपना पहला विधानसभा चुनाव साल 1957 में जीता था। वो 1970 में जब 43 साल के थे तब पंजाब के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने। प्रकाश सिंह बादल ने कुल 5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री की शपथ ली। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उनके नाम है अनोखा रिकॉर्ड
प्रकाश सिंह बादल के नाम एक अनोखा रिकॉर्ड भी रहा, जहां एक तरफ वो पंजाब के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने तो वहीं जब साल 2017 में उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में पांचवां कार्यकाल पूरा किया तो 90 साल की उम्र के वो सबसे बुजुर्ग मुख्यमंत्री भी रहे। वो शिरोमणी अकाली दल के प्रमुख रहे जो सिखों के प्रतिनिधित्व की बात करती है। वहीं इस दल ने अक्सर हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर आगे बढ़ने वाली बीजेपी का साथ दिया। प्रकाश सिंह बादल की पत्नी सुरिंदर कौर का निधन हो चुका है। उनका बेटे सुखबीर सिंह बादल और बहू हरसिमरत कौर बादल दोनों ही राजनीति में सक्रिय हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कर चुके हैं केंद्र की राजनीति
1979 से 1980 के बीच वह चौधरी चरण सिंह की अगुवाई वाली केंद्र सरकार में कृषि मंत्री रहे, लेकिन इसके बाद उन्होंने केंद्र की सत्ता का मोह त्याग दिया और पंजाब की राजनीति पर ही पूरा ध्यान केंद्रित किया। बादल की सियासी चालें उनके आलोचकों को भी कभी-कभी मुरीद बना लेती थीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विरोधियों का भी किया सम्मान
मुख्यमंत्री के तौर पर उनके आख़िरी कार्यकाल में दो बार इस तरह की घटनाएं हुईं। पहले उनके आवास पर कांग्रेस और दूसरी बार आम आदमी पार्टी धरना देने गईं। बादल ने दोनों बार उनके लिए टेंट लगवा दिया और खुद उनका स्वागत करने गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शिक्षा पर एक नज़र
उनकी शुरुआती शिक्षा घर पर ही हुई. उसके बाद वे लांबी गांव के एक स्कूल में पढ़ने लगे। वे अपने गांव से घोड़े पर सवार होकर स्कूल जाते थे। हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए वो मनोहर लाल मेमोरियल हाई स्कूल गए। कॉलेज की पढ़ाई के लिए वो लाहौर के सिख कॉलेज गए, लेकिन बाद में फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज चले गए और वहीं से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सरपंची से हुई राजनीतिक करियर की शुरुआत
प्रकाश सिंह बादल ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1947 से की। वह अपने पिता रघुराज सिंह के कदमों पर चलते हुए बादल गांव के सरपंच बने. इसके बाद वह लांबी ब्लॉक समिति के चेयरमैन बने। 1957 में पंजाब विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए वह विधायक बने। बादल उन नेताओं की श्रेणी में आते हैं, जिन्होंने क्षेत्रीय दलों की मजबूती पर जोर दिया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।