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April 13, 2025

पहला क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल दून में शुरू, फिल्मी कहानियों के लेखन और क्राइम रिपोर्टिंग के खतरों को किया साझा

दून कल्चरल एंड लिटरेरी सोसाइटी की ओर से वेल्हम ब्वॉयज स्कूल देहरादून में तीन दिवसीय क्राइम लिटरेचर फैसिटिवल की शुरू हो गया। देहरादून शहर में प्रथम बार आयोजित क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल का विधिवत शुभारम्भ हंस फाउंडेशन की माता मंगला ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर पूर्व डीजी उत्तराखंड आलोक बी लाल और पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड अशोक कुमार, प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक संजय गुप्ता एवं सुजॉय घोष भी मौजूद रहे। फेस्टिवल के पहले दिन तीन सत्र आयोजित किए गए। इनमें वक्ताओं ने कई गंभीर मुद्दों पर चर्चा की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

फिल्म निर्देशक संजय गुप्ता के नाम रहा पहला सत्र
कार्यक्रम की शुरूआत शूट आउट एट वडाला के प्रसिद्ध निर्देशक संजय गुप्ता के विशेष सत्र के साथ हुई। उन्होंने ‘एडाप्टिंग एंड बीइंग एडाप्टेड’ विषय के हर पहलू पर चर्चा की। उन्होंने पाठकों को अपराध उपन्यासों को सिनेमाई कृतियों में बदलने की पूरी प्रक्रिया के विषय में बताया। इस सत्र में संजय गुप्ता एवं एस.हुसैन जैदी पैनलिस्ट के रूप में एवं मानस लाल मॉडरेटर के रूप में उपस्थित रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सस्पेंस फिल्मों की कहानी पर चर्चा
कार्यक्रम के दूसरा सत्र बहुचर्चित क्राइम सस्पेंस फिल्म ‘कहानी’ और ‘कहानी 2’ के निर्देशक सुजॉय घोष के नाम रहा। उन्होंने अपने सत्र ‘सस्पेक्ट एक्स’ में फिल्मी दुनिया के विभिन्न आयामों के विषय से पाठकों को रूबरू कराते हुए आश्चर्यचकित कर दिया। सत्र में डॉ. रूबी गुप्ता मॉडरेटर के रूप में शामिल रही। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तीसरे सत्र में क्राइम रिपोर्टिंग पर चर्चा
प्रथम दिवस के तीसरे सत्र में क्राइम रिपोर्टिंग ‘कितनी कारगर, कितनी खतरनाक’ विषय पर विस्तृत चर्चा की गयी। पैनलिस्ट के रूप में शम्स ताहिर खान, पूर्व डीजी उत्तराखंड आलोक बी. लाल और पुलिस महानिदेशक,उत्तराखंड अशोक कुमार एवं विनीत श्रीवास्तव मॉडरेटर के रूप में शामिल रहे। मॉडरेटर विनीत श्रीवास्तव ने तीनों पैनलिस्ट से क्राइम रिपोर्टिंग ‘कितनी कारगर, कितनी खतरनाक’ विषय पर कई सवाल पूछकर चर्चा को आगे बढाया। संचालन विनीत श्रीवास्तव ने किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

लोगों को सतर्क और जागरूक बनाती है क्राइम रिपोर्टिंग
चर्चा में पैनलिस्ट के रूप में शामिल उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि क्राइम रिपोर्टिंग लोगों को सतर्क और जागरूक करने का काम भी करती है। अपराधी वारदात को अंजाम देने के लिए विभिन्न तरीके अपनाकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। इसकी जानकारी क्राइम रिपोर्टिंग से मिलती है। उन्होंने विशेष बल दिया कि यदि आम जन अपराध के बारे में समाचार पत्रों में हुई रिपोर्टिंग पर ध्यान दें, तो वह अपराधियों के चंगुल में आने से अपने आप को काफी हद तक बचा सकते है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जिम्मेदारी से किया जाने वाला काम
उन्होंने कहा कि क्राइम रिपोर्टिंग गम्भीर एवं जिम्मेदारी से किये जाने वाला कार्य है। साथ ही क्राईम रिपोर्टंग में संवेदनशीलता के साथ ही गम्भीर मामलों की गोपनीयता बनाये रखने के लिए मीडिया को विचार करना आवश्यक है। पूर्व डीजी उत्तराखण्ड आलोक बी. लाल ने कहा कि क्राइम रिपोर्टिंग सिर्फ वारदात की सूचना तक ही सीमित नही हैं। इसके माध्यम से कानून व अधिकारों के बारे में जानकारी देकर जागरूक किया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पत्रकारिता में बेहद महत्वपूर्ण है क्राइम रिपोर्टिंग
चर्चा में डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि पत्रकारिता का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है क्राइम रिपोर्टिंग। इसका समाज से सीधा जुड़ाव होता है। ऐसे में यदि संजीदगी से क्राइम रिपोर्टिंग होती है तो वह समाज को सतर्क करने का भी काम करती है। मसलन, अपराध किस तरह हुआ क्या उस वक्त लापरवाही रहीं। पुलिस ने किस तरह से अपराधियों को पकड़ा यह सब इसमें बताया जाता है। इससे समाज को अपराध से बचने का तरीका भी मालूम पड़ता है। लेकिन, जब इसमें जबरदस्ती की सनसनी फैलाई जाती है तो इससे पुलिस के साथ-साथ आमजन को भी परेशानी होती है। सनसनी की इसी बात को पूर्व डीजीपी आलोक लाल ने आगे बढ़ाया। उन्होंने पहले सकारात्मक रिपोर्टिंग की बात को अपने एसपी बाराबंकी रहते कार्रवाई का जिक्र किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दिए कई उदाहारण
उन्होंने कहा कि उस वक्त उन्होंने 13 क्विंटल हेरोइन पकड़ी थी। यह अब तक का सबसे बड़ी कार्रवाई है। उस वक्त मीडिया ने इसे बहुत अच्छी कवरेज दी। इससे पुलिस का मनोबल बढ़ा। लेकिन, एक दिन उन्होंने एक पत्रिका में देखा कि इसी कहानी को बेहद नकारात्मक तरीके से लिखा गया। उसमें पुलिस कप्तान पर ही सवाल उठा दिए गए। इसी तरह पत्रकार शम्स ताहिर खान ने कहा कि कई बार तमाशा बहुत गलत प्रभाव डालता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कई बार तमाशा करते हैं चैनल
उन्होंने देश के कई बड़े अपराध के वक्त की विभिन्न चैनलों और सोशल मीडिया की रिपोर्टिंग का जिक्र किया, जिसमें केवल तमाशा ही हो रहा था। कई जगह इसे केवल टीआरपी के लिए ही किया जाता है। कहा कि सकारात्मक पत्रकारिता जरूरी नहीं है, बल्कि जरूरी है कि क्या हो रहा है क्यों हो रहा है इसे बिल्कुल पारदर्शिता से दिखाना। क्राइम रिपोर्ट को भी वॉच डॉग की तरह रहना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

देखें आज के कार्यक्रमों का शेड्यूल

जाने माने लेखक, निर्देशक, पुलिस अधिकारी ले रहे हैं भाग
देहरादून में आयोजित हो रहे तीन दिवसीय समारोह में जानेमाने लेखक, फिल्म निर्माता, कलाकार और पुलिस अधिकारी भाग ले रहे हैं। इस समारोह का मुख्य उद्देश्य यह है कि नागरिक इस बात को जान सकें कि अपराध होने के पीछे कौन लोग हैं। अपराधियों की मानसिक स्थिति क्या होती है। वह यह जान सकें कि अपराध से निपटने के लिए क्या रणनीति कारगर हो सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

शामिल होने वाले पुलिस अधिकारी
कार्यक्रम में शामिल हो रहे लोगों में केंद्रीय रिजर्व बल के पूर्व डीजी विजय कुमार वीरप्पनः चेंजिंग द ब्रिगेड’ के लेखक हैं। वहीं, ‘शहर में कर्फ्यू, रामगढ़ में हत्या’ के लेखक एवं पूर्व डीजीपी विभूति नारायण राय, ‘द बाराबंकी नारकोज़, मर्डर इन द बाईलेंस और ऑन द ट्रेल ऑफ ठग्स एंड थीब्ज’ के लेखक एवं पूर्व डीजीपी आलोक लाल, खाकी में इंसान और साइबर एनकाउंटर्स के लेखक एवं उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, अकॉप इन क्रिकेट, खाकी फाइल्स के लेखक एवं दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर नीरज कुमार, नवनीत सिकेरा (एडीजीपी) और बिहारी डायरीज, लाइफ इन यूनिफॉर्म के लेखक अमित लोढ़ा (इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस ) अपने अनुभवों को साझा करेंगे। इस साहित्य समारोह के डायरेक्टर भूतपूर्व आईपीएस आलोक लाल हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये भी हस्तियां भी हो रही हैं शामिल
इनके साथ ही अपराध से जुड़े लेखन और फिल्मों की अन्य हस्तियां भी समारोह में भाग रहे हैं। इसमें लेखकों में एम हुसैन जैदी (डांगरी टू दुबई, माफिया क्वींस ऑफ मुंबई, ब्लैक फ्राइड), किरन मनराल (द किटी पार्टी मर्डर, मिसिंग-प्रिज्यूम्ड डेज) और अनिर्बान भट्टाचार्य (द डेडली डज़न, इंडिआज़ मनी हाइस्ट) के लेखक इत्यादि हैं। फिल्मों की दुनिया में आने वालों में राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत निर्देशक सुजॉय घोष (कहानी, जानेजान) और संजय गुप्ता (शूटआउट एट लोखंडवाला, आतिश, कांटे), अभिनेता अविनाश तिवारी (खाकीः द बिहार चैप्टर बंबई मेरी जान) और राजश्री देशपांडे (सेकेंड गेस्म, ट्रायल बाई फायर) आदि शामिल हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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