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August 1, 2025

प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित भजन सोपोरी का निधन, गुरुग्राम के अस्पताल में तोड़ा दम, जानिए उनके बारे में

प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित भजन सोपोरी का भी आज शाम गुरुग्राम के अस्पताल में निधन हो गया। वह 74 वर्ष के थे।

प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित भजन सोपोरी का भी आज शाम गुरुग्राम के अस्पताल में निधन हो गया। वह 74 वर्ष के थे। उनका जन्म वर्ष 1948 में श्रीनगर में हुआ था। उनका पूरा नाम भजन लाल सोपोरी है और इनके पिता पंडित एसएन सोपोरी भी एक संतूर वादी थे। सोपोरी कश्मीर घाटी के सोपोर इलाके के रहने वाले थे। इनके परिवार की 6 पीढ़ियां संगीत से जुड़ी रही हैं। भजन सोपोरी के बेटे अभय रुस्तम सोपोरी भी संतूर वादक हैं। वह कुछ समय से बीमार चल रहे थे।
भजन सोपोरी को घर पर ही उनके दादा एससी सोपोरी और पिता एसएन सोपोरी से संतूर की विद्या हासिल हुई। यूं भी कह सकते हैं कि संतूर वादन की शिक्षा उन्हें विरासत में मिली थी। दादा और पिता से इन्हें गायन शैली व वादन शैली में शिक्षा दी गई थी। भजन सोपोरी ने अंग्रेजी साहित्य में मास्टर्स डिग्री हासिल की थी। इसके उपरांत वाशिंगटन विश्वविद्यालय से पश्चिमी शास्त्रीय संगीत का अध्ययन भी किया।
कश्मीर संभाग के श्रीनगर जिला के रहने वाले पंडित भजन सोपोरी का संबंध सूफियाना घराना से है। चूंकि इनके दादा और पिता संतूर वादन में निपुण थे। यही वजह है कि उनकी विरासत को पंडित भजन सोपोरी ने आगे बढ़ाने का काम किया। पंडित भजन सोपोरी ने एक एलबम नट योग आन संतून बनाया। इतना ही नहीं पंडित भजन सोपोरी ने (सा, मा, पा) सोपोरी अकादमी फार म्यूजिक एंड परफार्मिंग आटर्स के संस्थापक भी हैं। इस अकादमी का मुख्य उद्देश्य शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देना है। भजन सोपोरी भारत के एकमात्र शास्त्रीय संगीतार हैं, जिन्होंने संस्कृत, अरबी, फारसी सहित देश की लगभग सभी भाषाओं में चार हजार से अधिक गीतों के लिए संगीत तैयार किया है।
इन रागों की की थी रचना
पंडित भजन सोपोरी जी ने तीन रागों की रचना की है। इनमें राग लालेश्वरी, राग पटवंती और राग निर्मल रंजनी है। सोपोरी ने देश में राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता के लिए विभिन्न गीतों की फिर से धुनें तैयारी की हैं। इनमें कदम-कदम बढ़ाए जा, सरफरोशी की तमन्ना, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, हम होंगे कामयाब इत्यादि प्रमुख हैं।
मिल चुके हैं कई सम्मान
वर्ष 1993 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
वर्ष 2004 में पद्मश्री सम्मान
वर्ष 2009 में बाबा अलाउद्दीन खान पुरस्कार
वर्ष 2011 में एमएन माथुर सम्मान
वर्ष 2016 में जम्मू-कश्मीर राज्य आजीवन उपलब्धि पुरस्कार

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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