पर्यावरणविद जगदीश बाबला की देहरादून की शान में कविता- शान ए देहरादून
शान ए देहरादून
हिमालय है महाभाल जिसका, वो है शान ए देहरादून,
मसूरी है रानी इसकी राजा शान ए देहरादून।
बद्री और केदार जहाँ देते है सादा आशीष है,
डाट की देवी टपकेश्वर है शान ए देहरादून।
दरबार साहब का झण्डा मेला या हो सुन्दर शिव मन्दिर,
आन, बान और मान है इनसे ये है शान ए देहरादून।
टैगोर गांधी, जवाहर को जिसने लुभाया सदा जहाँ,
दुनिया में सम्मान है जिसका वो है शान ए देहरादून।
चन्द्र कुँवर, माधो भण्डारी, पिताम्बर, तिलू, गौरा,
विश्व में पहचान है जिनकी वो है शान ए देहरादून।
सैन्य शक्ति देश भक्ति चाहे शिक्षा का क्षेत्र यहाँ,
संस्कृति की सही झलक देता है शान ए देहरादून।
शान्त सौम्य गंगा यमुना और यहीं है सहस्त्रधारा,
मौन तपस्वी वन उपवन में अपना शान ए देहरादून।
दून घाटी की नामी यादें लीची चावल चाय की पत्ती,
अब तो यह सब लुप्त हो गईं जो थी शान ए देहरादून।
कहे ‘बाबला‘ बात पते की सुन लो एक दुनिया वालो,
पर्यावरण अब वो ना रहा जो था शान ए देहरादून।
कवि का परिचय
नाम-जगदीश बाबला
पर्यावरणविद एवं साहित्यकार
निवासी-सुंदरवाला देहरादून, उत्तराखंड
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।