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March 14, 2025

निर्वाचन ड्यूटीः युवाओं को घर के पास और रिटायरमेंट की कगार में पहुंचे कार्मिकों की दुर्गम स्थान पर तैनाती

कार्मिकों की निर्वाचन के कार्यों को संपन्न कराने में ड्यूटी लगाई जा रही है। इसमें विशेष बात ये है कि इन चुनाव ड्यूटी में ऐसे लोगों के नाम भी शामिल कर दिए गए हैं, जो रिटायरमेंट की कगार पर पहुंच गए हैं।

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के लिए 14 फरवरी को मतदान है। इसके लिए प्रशासन की तैयारी भी जोरों से चल रही है। इसके लिए कार्मिकों की निर्वाचन के कार्यों को संपन्न कराने में ड्यूटी लगाई जा रही है। इसमें विशेष बात ये है कि इन चुनाव ड्यूटी में ऐसे लोगों के नाम भी शामिल कर दिए गए हैं, जो रिटायरमेंट की कगार पर पहुंच गए हैं। यही नहीं, ऐसे कर्मचारियों को दुर्गम क्षेत्र चकराता में भेजा जा रहा है। वहीं, ऐसे भी बहुत सारे युवा हैं, जिनकी ड्यूटी देहरादून शहर में ही उनके घरों के आसपास लगाई गई हैं। इससे पहले चुनाव ड्यूटी में प्रदेश भर में दृष्टिबाधितों के नाम भी शामिल किए गए थे। हालांकि निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में चक्कर काटने के बाद ऐसे लोगों के नाम निर्वाचन ड्यूटी से हटा दिए गए थे।
बैंक ऑफ बड़ोदा में कार्यरत एक कर्मचारी का इसी साल दिसंबर माह में रिटायरमेंट है। उनकी ड्यूटी चकराता में लगाई गई है। हालांकि, नाम बताने से उन्होंने मना कर दिया, लेकिन अपनी परेशानी को जरूर बयां किया। उन्होंने कहा कि वह हमेशा इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल होते आए हैं। उन्होंने कभी ड्यूटी कटवाने का आग्रह नहीं किया। इस बार भी नहीं करेंगे। उन्होंने बताया कि अब करीब साठ साल की उम्र में उन्हें चकराता भेजा जा रहा है। इससे उन्हें कुछ परेशानी जरूर होगी। क्योंकि वहां यदि पैदल चलना पड़ा तो इसमें दिक्कत आएगी। क्योंकि चलने फिरने में उन्हें दिक्कत होती है। साथ ही वहां ऐसे स्थल भी हैं, जहां फरवरी में भी बर्फबारी होती है। स्वास्थ्य की दृष्टि से बुजुर्ग कार्मियों की ड्यूटी चकराता क्षेत्र में लगाने से उन्हें परेशानी होगी।
देहरादून में इन कार्मिकों को एक फरवरी को पहले प्रशिक्षण में शामिल होना है। इसके बाद उन्हें 11 फरवरी को दूसरे प्रशिक्षण में शामिल होना है। चकराता जाने वाले कार्मिकों को 12 फरवरी को क्षेत्र के लिए रवाना होना है। ऐसे में बुजुर्गों की कई दिन तक फजीहत तय है। कारण ये है कि मतदान 14 फरवरी को शाम छह बजे तक है। यदि छह बजे से पहले तक मतदान केंद्र में लंबी लाइन लग जाती है तो छह बजे गेट बंद होने के बाद तो वहां पहले से मौजूद सभी लोग मतदान करेंगे। ऐसी स्थिति में कई केंद्रों में देर रात तक भी मतदान संभव है। इसके बाद इन कार्मिकों की 15 फरवरी को वापसी होगी।
वहीं, एलआइसी के एक कर्मचारी को इसी साल जून माह में सेवा से रिटायर होना है। उनकी भी निर्वाचन ड्यूटी लगाई गई है। अमूमन 55 साल से अधिक लोगों को निर्वाचन ड्यूटी से मुक्त रखने की बात उठती रही है। इसके बावजूद कई बुजुर्गों की ड्यूटी दूरस्थ क्षेत्र में लगाई गई है। इससे ऐसे बुजुर्ग दबी जुबान से अपनी पीड़ा को बयां कर रहे हैं।
वहीं, नेशनल फेडरेशन आफ द ब्लाइंड के की उत्तराखंड शाखा के प्रदेश सचिव पीएस चौहान ने बताया कि देहरादून जिले में इलाहाबाद बैंक में कार्यरत दृष्टिबाधित महिला अर्चना लखेड़ा की ड्यूटी निर्वाचन में लगाई गई थी। किसी तरह उनकी ड्यूटी को कटवा दिया गया। इसी तरह उधमसिंह नगर के जसपुर में दृष्टिहीन शिक्षक देवेंद्र सिंह रावत की भी ड्यूटी निर्वाचन में लगा दी गई थी। उन्होंने बताया कि दृष्टिबाधित निर्वाचन ड्यूटी करने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे में उनका नाम निर्वाचन ड्यूटी की सूची में डालना, उनके साथ मजाक है। उन्होंने बताया कि हालांकि जिला निर्वाचन अधिकारी के पास जब ऐसे लोग शिकायत लेकर जा रहे हैं तो उनके नाम ड्यूटी से काटे जा रहे हैं, लेकिन इसके लिए कई बार दृष्टिबाधितों को निर्वाचन अधिकारी से भेंट करने में घंटों का इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे में उनकी परेशानी बढ़ रही है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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