फिर बेनकाब हुआ ईडी का चेहरा, तमिलनाडु में रिश्वत लेते ईडी का अधिकारी गिरफ्तार
1 min readएक बार फिर से ईडी का ऐसा चेहरा बेनकाब हुआ, जैसा कि विपक्ष इस ऐजेंसी पर आरोप लगाता है। यानि ब्लैकमेल करो, काम बने तो छोड़ दो, नहीं तो जेल में सड़ा दो। खबर ये है कि तमिलनाडु के मदुरै में पदस्थ प्रवर्तन निदेशालय के एक अधिकारी को कथित तौर पर 20 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले राजस्थान में ईडी का ही एक अधिकारी नवल किशोर मीणा को उसके सहयोगी बाबूलाल मीणा के साथ 15 लाख रुपेय की रिश्ववत लेने के आरोप में पकड़ा गया। राजस्थान की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की टीम ने जयपुर में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारी और उसके साथी को गुरुवार 2 नवंबर को घूस लेते हुए गिरफ्तार किया। आरोप था कि ईडी के इंफाल ऑफिस में चिटफंड-प्रकरण में शिकायतकर्ता के विरुद्ध दर्ज मामले को निपटाने, प्रॉपर्टी जब्त नहीं करने और गिरफ्तार नहीं करने की एवज में आरोपी प्रवर्तन अधिकारी नवल किशोर मीणा 17 लाख रुपये रिश्वत राशि की मांग की थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब ऐसा ही मामला तमिलनाडु में सामने आया। यह अधिकारी डिंडीगुल जिले में एक सरकारी डॉक्टर से जुड़े आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच कर रहा था। पुलिस के अनुसार ईडी अधिकारी की पहचान अंकित तिवारी के रूप में हुई है। उसने इस मामले को छोड़ने के लिए एक करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी। इस कार्रवाई को लेकर सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (DAVC) की ओर से जल्द ही बयान आने की संभावना है। हालांकि, डीवीएसी सूत्रों ने NDTV को बताया कि अंकित तिवारी एक तेज रफ्तार कार में था और उसको पीछा करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अधिकारियों ने तिवारी को रंगेहाथों पकड़ने के लिए जाल बिछाया था। स्टेट हाईवे पर एक ड्रॉप-ऑफ पॉइंट पर उसने कथित रूप से रिश्वत के पहले हिस्से के रूप में 20 लाख रुपये लिए। इसके बाद उसे हिरासत में ले लिया गया। यह पहली बार है जब तमिलनाडु में किसी ईडी अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मद्रास हाईकोर्ट में राज्य बनाम ईडी
तमिलनाडु में राज्य सरकार और केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी आमने सामने है। वहां पांच जिला कलेक्टरों को समन जारी करने को लेकर ये विवाद पैदा हुआ। यह मामला अवैध रेत खनन से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग की जांच से जुड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के प्रशासन को राहत देते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने इस सप्ताह समन पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी। हालांकि मामले की जांच पर रोक नहीं लगी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अरियालुर, वेल्लोर, तंजावुर, करूर और तिरुचिरापल्ली जिलों से तलब किए गए कलेक्टरों और राज्य सरकार को ईडी को जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया गया है। तमिलनाडु सरकार ने तर्क दिया था कि ईडी के पास ऐसी मांग करने का अधिकार नहीं है और पांच कलेक्टरों को ईडी का समन संघवाद की भावना के खिलाफ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यह भी तर्क दिया गया कि केंद्रीय एजेंसी को इस तरह के ब्योरे, यदि जरूरी हों तो केवल राज्य सरकार के जरिए मांगना चाहिए। ईडी राज्य सरकार की सहमति के बिना जांच नहीं कर सकती है। आईआईटी के एक विशेषज्ञ के सर्वे का हवाला देते हुए ईडी ने दावा किया है कि दो साल में पूरे तमिलनाडु में 4500 करोड़ रुपये का अवैध रेत खनन हुआ है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।