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April 15, 2025

उत्तराखंड की राजधानी दून में पेयजल संकट, कहीं तरह से बूंद को तरसे, कहीं सड़क की धुलाई, यहां हुआ खबर का असर

गर्मी बढ़ने के साथ ही उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पेयजल संकट गहराने लगा है। जल संस्थान के नियमित पेयजल आपूर्ति के दावे ध्वस्त हो रहे हैं। शहर के दो दर्जन से अधिक इलाकों में लोग पानी को तरस रहे हैं।

गर्मी बढ़ने के साथ ही उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पेयजल संकट गहराने लगा है। जल संस्थान के नियमित पेयजल आपूर्ति के दावे ध्वस्त हो रहे हैं। शहर के दो दर्जन से अधिक इलाकों में लोग पानी को तरस रहे हैं। कहीं पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त होने तो कहीं लाइन चोक होने के कारण पानी का संकट गहरा गया है। मांग बढ़ने के कारण भी पर्याप्त आपूर्ति नहीं की जा रही है। कई जगह पेयजल व्यवस्था हैंडपंप और टैंकरों के भरोसे है। जहां जलापूर्ति हो रही है, वहां पेयजल का दुरुपयोग लोग खुद भी कर रहे हैं। सुबह और शाम को ऐसे स्थानों पर लोगों को घरों के आगे सड़कों पर पानी का छिड़काव करते देखा जा सकता है। वहीं, लोकसाक्ष्य की खबर का भी असर हुआ और ग्लोगी स्रोत से सीधे पानी लेने की योजना पर जल संस्थान ने काम आरंभ कर दिया है।
ये हैं जलापूर्ति के स्रोत
दून में वर्तमान में 279 ट्यूबवेल के साथ ही तीन नदी व झरने के स्रोत हैं, लेकिन ज्यादातर पेयजल आपूर्ति ट्यूबवेल से ही की जाती है। गर्मी बढ़ते ही भूजल स्तर गिर जाता है। ट्यूबवेल की क्षमता भी घटने लगती है। अन्य स्रोतों से भी पानी का प्रवाह घटना शुरू हो जाता है। जिस कारण पेयजल संकट गहराने लगता है। आमतौर पर दून में पेयजल की मांग 242.17 एमएलडी है, जबकि उपलब्धता 228 एमएलडी है। लीकेज और वितरण व्यवस्था की खामियों के कारण वर्षों से यह समस्या बनी हुई है।
ढलान वाले इलाकों में बह जाता है पानी
राजधानी में मौहल्लों की स्थिति भी एक समान नहीं हैं। कुछ इलाके ऊंचाई पर हैं, तो कुछ इलाके काफी निचाई में हैं। ऐसे में जब भी जलापूर्ति होती है तो सारा पानी निचले इलाकों की तरफ बहने लगता है। ऐसे में ऊपरी इलाकों में पेयजल संकट गहराने लगता है। यहां एक उदाहरण इस बात से समझा जा सकता है कि नालापानी पुलिस चौकी स्थित नलकूप से पानी की जब सप्लाई होती है तो आर्यनगर का कुछ इलाका ऊंचाई में है। वहीं, डीएल रोड, अंबेडकर कालोनी निचले इलाके में हैं। अब जब भी पानी की सप्लाई होती है तो ऊपरी इलाके में लो प्रेशर की समस्या हो रही है। वहीं, डीएल रोड, अंबेडकर कालोनी आदि क्षेत्र में हर शाम लोगों को सड़कों पर पानी डालते हुए देखा जा सकता है।
आपूर्ति की अवधि भी घटी
कई इलाकों में लो प्रेशर के साथ ही आपूर्ति की अवधि भी घट गई है। इसका एक बड़ा कारण पानी की लाइनों का क्षतिग्रस्त होना है। शहर में चल रहे तमाम निर्माण कार्यों के चलते आए दिन पानी की लाइनें क्षतिग्रस्त हो रही हैं। जल संस्थान लाइनें क्षतिग्रस्त होने का ठीकरा निर्माण एजेंसियों पर फोड़ रहा है और शिकायत के बावजूद पानी की लाइनों को दुरुस्त करने में शीघ्रता नहीं दिखा रहा। इससे हजारों लीटर पानी सड़कों पर बह रहा है और आपूर्ति प्रभावित हो रही है।
इन इलाकों में बना हे पेयजल संकट
पटेल रोड, फालतू लाइन, सुभाष रोड, रेसकोर्स, आराघर, घोसी गली, कचहरी रोड, चंदर नगर, ईसी रोड, सेवला कलां, माजरा, निरंजनपुर, सत्तोवाली घाटी, ऋषि विहार आदि इलाकों में लीकेज के कारण पेयजल व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है।
कई इलाकों में सीवर और नाली का पानी
शहर के कई क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां घरों में सीवर या नाली का पानी पहुंच रहा है। जल संस्थान के अधिकारियों का कहना है कि विभिन्न निर्माण एजेंसियों की ओर से निर्माण कार्य के दौरान पानी की लाइन तोड़ दी जाती है और जल संस्थान को समय पर सूचित नहीं किया जाता। इससे पानी बर्बाद होता है और आपूर्ति प्रभावित हो जाती है। कुछ जगह बिजली की समस्या के चलते आपूर्ति प्रभावित है। क्षतिग्रस्त पेयजल लाइनों का गंभीरता से संज्ञान लेकर मरम्मत कराई जा रही है। जिन इलाकों में पानी की किल्लत की शिकायत मिल रही है, वहां फिलहाल टैंकर से आपूर्ति की जा रही है।
जल विद्युत निगम पर निर्भरता
देहरादून शहर के उत्तरी भाग के एक बड़े हिस्से में ग्लोगी पावर हाउस से जलापूर्ति की जाती है। ये ग्रेविटी वाला स्रोत है। यानी कि यहां से पेयजल लेने के लिए बिजली के पंप की जरूरत नहीं पड़ती है। पानी अपने आप ही ढलान वाले क्षेत्र में पाइप लाइनों में बहता है और एक बड़े क्षेत्र में जलापूर्ति होती है। ग्लोगी पावर हाउस में जल विद्युत निगम की चार टरबाइनें हैं। इसे चलाने के लिए जो पानी नदी के स्रोत से लिया जाता है, वही आगे चलकर जल संस्थान की पाइप लाइनों में डाल दिया जाता है। इन टरबाइन में मात्र दो ही नियमित चलती हैं। ऊर्जा निगम यदि किसी खराबी के चलते इन टरबाइन से बिजली उत्पादन बंद करता है तो वह स्रोत से पानी लेना भी बंद कर देता है। ऐसे में जल संस्थान को भी जलापूर्ति के लिए पानी नहीं मिलता है।
अब हो रहे हैं ये प्रयास
जल विद्युत निगम से पानी की निर्भरता को समाप्त करने के लिए जल संस्थान ने पिछले साल एक योजना बनाई थी। बताया जा रहा है कि करीब 45 लाख रुपये की ये योजना है। इसके तहत एक वाटर टैंक स्रोत पर बनाया गया है। स्रोत के पानी को इस टैंक से जोड़ने के लिए चैनल का निर्माण और पाइप लाइन आदि बिछाने का काम भी होना है। एक साल पहले टैंक तो बना दिया गया, लेकिन इसे जोड़ा नहीं गया था। लोकसाक्ष्य में लगी खबर के बाद अब स्रोत के पानी को टैंक से जोड़ने का काम शुरू कर दिया गया है। जल्द ही दो चार दिन में ये काम पूरा हो सकता है। ऐसे में एक बड़े क्षेत्र को राहत मिल सकती है।
जल विद्युत निगम देगा सूचना
अक्सर ये होता था कि जल विद्युत निगम टरबाइन बंद करने से पहले सूचना जल संस्थान को नहीं देता था। ऐसे में टरबाइन बंद होते ही जल निगम स्रोत से पानी लेना बंद कर देता है। इस पर निगम की चेनलों में जब पानी नहीं गुजरता तो आगे जल संस्थान को भी पानी नहीं मिल पाता है। अब दोनों विभागों में आपसी तालमेल बनाया गया है। अब निगम टरबाइन बंद करने से दो दिन पहले जल संस्थान को इसकी सूचना देगा। इसके बाद जल संस्थान निगम की चेनल की बजाय सीधे स्रोत से सीधे पानी लेगा। इसके लिए टैंक को स्रोत से जोड़ने का काम चल रहा है। इसके बाद पानी को शुद्धिकरण के लिए भेजा जाएगा।
इन इलाकों को मिलेगा फायदा
ग्लोगी स्रोत से टैंक में पानी लेने पर देहरादून में पुरकुल गांव, भगवंतपुर, गुनियाल गांव, चंद्रोटी, जौहड़ी गांव, मालसी, सिनौला, कुठालवाली, अनारवाला, गुच्चूपानी, नया गांव, विजयपुर हाथी बड़कला, किशनपुर, जाखन, कैनाल रोड, बारीघाट, साकेत कालोनी, आर्यनगर, सौंदावाला, चिड़ौवाली, कंडोली सहित कई इलाकों में जलापूर्ति का संकट दूर हो जाए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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