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April 13, 2025

सीपीआई (एम) की दो दिवसीय राज्य कमेटी की बैठक में केद्र सरकार की नीतियों की आलोचना, इन मुद्दों पर तेज करेंगे संघर्ष

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) सीपीआइ (एम) की उत्तराखंड राज्य कमेंटी की दो दिवसीय बैठक में केंद्र की आर्थिक और श्रम नीतियों के साथ ही विभिन्न मुद्दों की जमकर आलोचना की गई।

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) सीपीआइ (एम) की उत्तराखंड राज्य कमेंटी की दो दिवसीय बैठक में केंद्र की आर्थिक और श्रम नीतियों के साथ ही विभिन्न मुद्दों की जमकर आलोचना की गई। साथ ही मजदूर, किसान, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित कई मूलभूत मुद्दों को लेकर संघर्ष तेज करने का निर्णय किया गया। देहरादून में कांवली रोड स्थित गांधी ग्राम में पार्टी के राज्य कार्यालय में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में आज मुख्य वक्ता पार्टी की केन्द्रीय कमेटी सदस्य एवं राज्य प्रभारी बीजू कृष्णनन रहे।
इन आंदोलन को समर्थन
इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) उत्तराखंड राज्य सहित देश के विभिन्न हिस्सों में जनमुद्दों तथा साम्प्रदायिकता के सवाल पर निरन्तर संघर्षरत है। इनमें महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, सार्वजानिक संस्थानों के निजीकरण व केन्द्र की मोदी सरकार की ओर से देश की संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करना तथा देश के धर्मनिरपेक्षता की परम्परा को कमजोर करना रहा है। हमारी पार्टी ने तीन किसान विरोधी बिलों व श्रम कानूनों में बदलाव के खिलाफ चल रहे देशव्यापी संघर्ष को पूर्ण समर्थन दिया है।
बड़े घरानों को पहुंचाया जा रहा लाभ
उन्होंने कहा कि पार्टी का मानना है तीन कृषि कानून तथा चार श्रम संहिताएं हमारे देश के मजदूरो व किसानो की स्थिति को ओर भी बत्तर कर देगी तथा उन्हें बडे़ कारपोरेट घरानों कि दया पर पूर्णरूप से निर्भर रहना पड़ेगा। इन कानून के परिणामस्वरूप कृषि एवं उद्योगों पर बडे़ पूंजीपतियों का एकाधिकार कायम हो जाऐगा। इसके साथ ही भाजपा की केन्द्र व उत्तराखंड सरकार कोविड संक्रमण के दौरान आमजनता की सहायता करने पूरी तरह से विफल साबित हुई है।
कोविडकाल में विफल रही सरकार
पार्टी के राज्य प्रभारी ने कहा कि सरकारो की विफलता इस बात से साबित हुई है कि सरकार संक्रमण पीड़ितों के लिये बुनियादी स्वास्थ्य तक कि व्यवस्था नहीं कर पायी। इस कारण लोगों असमय जान गंवानी पडी। जो लोग इस संक्रमण से बच निकले, उन्हें अपने इलाज पर भारी धन व्यय करना पड़ा। संक्रमण के चलते पिछले दो सालो से राज्य का कारोबार पूरी तरह से ठप्प पड़ा हुआ है। इस कारण लाखों लोग अब तक रोजगार से हाथ धो चुके हैं। बड़ी तादाद में बाहरी राज्यों में रोजगार करने वाले लोग अपने रोजगार खोने के बाद राज्य में वापस लौटे। राज्य सरकार ने इन बेरोजगार लोगो के रोजगार की ठोस निति नही बनाई। इस कोविड काल मे भाजपा को तीन तीन मुख्यमंत्री बदलने पडे़। भाजपा सरकार की तुष्टिकरण नीति के चलते कुंभ का आयोजन कर लाखो लोगो को हरिद्वार में एकत्रित किया गया। इससे राज्य में ही नहीं पूरे देश में कोरोना के संक्रमण को फैलाने का काम किया।
जनता के मुद्दों पर होगा आंदोलन
उन्होंने कहा कि यही नहीं कुम्भ में अपनी चेहती कम्पनियों को कोविड टेस्ट का ठेका देकर लाखों का फर्जीवाड़ा हम सब के सामने है। अब भाजपाईयी बेशर्मी से इन कम्पनी के कर्ता धर्ताओ को बचाने में जुटे हुऐ हैं। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी राज्य कमेटी की दो दिवसीय बैठक के अवसर पर पार्टी ने राज्य की राजनैतिक हालात पर चर्चा की। जनता के विभिन्न मुद्दों को चिह्नित करते हुए आन्दोलन तेज करने का निर्णय लिया। पार्टी का मानना है कि भाजपा के कुशासन तथा डबल इंजन सरकार की विफलताओं का खामियाजा राज्य की जनता को भुगतना पड़ रहा है। राज्य में नौकरशाही तथा चन्द राजनेताओं के नापाक गठबंधन के कारण विकास कार्यों में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। जनता का हरेक हिस्सा आज आन्दोलन की राह पर है। इनमें शिक्षित बेरोजगार, स्कीम वर्कर तथा समाज के अनेक हिस्से प्रमुख हैं।
भू कानून की पैरवी
उन्होंने कहा कि बहुमत की सरकार होने के बावजूद भाजपा में अंदरुनी खींचतान जारी है। परिणामस्वरूप बार बार राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हो रहा है। इसका खामियाजा राज्य की जनता को भुगतना पड़ रहा है। वर्तमान में राज्य में भू-कानून के लिए आन्दोलन चल रहा है। हमारी पार्टी इस आन्दोलन का समर्थन करते हुए यह कहना चाहती है कि राज्य गठन के इन बीस वर्षो में भाजपा व काग्रेस बारी-बारी से राज्य की सत्ता में आई और इस भू-कानून में संसोधन कर राज्य की जमीन को बड़े पूंजीपतियों व भूमाफियाओ के हवाले करने का ही काम किया।
कांग्रेस और यूकेडी की भूमिका भी निराशाजनक 
उन्होंने कहा कि 2018 दिसम्बर के विधानसभा सत्र में राज्य की भाजपा सरकार के उत्तर प्रदेश भूमि विनास कानून में संसोधन को कानून बनाने सम्बन्धी प्रस्ताव पर विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस की मौन स्वकृति ने ही इस कानून में संसोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति देने का काम किया। यही नही, पूर्व की खंडूड़ी सरकार में यूकेडी के दिवाकर भट्ट राजस्व मंत्री रह चुके हैं, किन्तु यूकेडी को उस समय भू-कानूनों कि याद नहीं आई। हमारी पार्टी लगातार राज्य के जल, जंगल व जमीन को बचाने के लिए संघर्षरत और हमेशा रहेगी। राज्य की जनता के असली मुद्दों को सुलझाने के बजाय राज्य में भाजपा सरकार की वही नीति रही है जो केन्द्र में मोदी सरकार की है।
इन मुद्दों पर संघर्ष का निर्णय
-संक्रमण काल को देखते हुऐ सभी मुफ्त वैक्सीन, जरूरतमन्दों को राशन, आयकर के दायरे से बाहर सभी के खाते में 75000 रूपये की धनराशि देने, इस दौरान बेरोजगार हुए लोगों की सहायता के लिए आर्थिक पैकेज देने, कोविड काल के मृतक के परिजनों की समुचित आर्थिक सहायता देने, इस दौरान हुए समस्त भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की की जाए।
-राज्य का स्वास्थ्य ढांचा मजबूत किया जाए तथा स्वास्थ्य विभाग सहित सभी रिक्त पदों पर नियुक्ति की जाए।
-राज्य की आशा, आंगनबाड़ी, भोजनमाताओं तथा उपनल के तहत लगे सभी को कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
-आल वैदर रोड़ तथा राष्ट्रीय राजमार्ग 107 में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच की जाए।
-प्राकृतिक आपदा पीड़ितों के साथ समुचित न्याय सुनिश्चित किया जाए तथा उन्हें समुचित मुआवजा दिया जाए।
-कोविड काल में बंद स्कूलों की ओर से विधार्थियों से शुल्क वसूली पर रोक लगे तथा सरकार जिम्मेदारी वहन करे।
– राज्य में भूमाफिया तथा राजनेताओं द्वारा भूमि सहित सभी प्राकृतिक संसाधनों की लूटखसोट पर रोक लगे।
-राज्य सरकार की ओर से निरन्तर मलिन एवं कच्ची बस्तियों के नियमतिकरण पर जान बूझकर कर लटकाया जा रहा है। सरकार को अविलंब इन बस्तियों का नियमतिकरण करना चाहिए। यहां सभी नागरिक सुविधाएं देनी चाहिए।
-राज्य में छात्र युवाओं, महिलाओं की हितों की रक्षा के लिये समुचित कदम उठाये जांए।
-सरकार राज्य में श्रमिकों के हितों पर विशेष ध्यान देकर तथा सभी श्रमिकों के हितों के कानून लागू करें।
-टान्सपोर्ट, पर्यटन तथा तीर्थाटन जो कि हमारे राज्य का प्रमुख रोजगार का माध्यम है। इसके रखरखाव के लिए समुचित आर्थिक पैकेज दिया जाए। चारधाम देवस्थानम बोर्ड को खत्म कर पुरानी व्यवस्था बहाल हो।
बैठक में ये रहे उपस्थित
बैठक में राज्य सचिव राजेन्द्र सिंह नेगी, सुरेन्द्र सिंह सजवाण, गंगाधर नौटियाल, भूपाल सिंह रावत, इन्दु नौडियाल, राजेन्द्र पुरोहित, अनन्त आकाश, आरपी जोशी, सुरेन्द्र रावत, राजाराम सेमवाल, वीरेंद्र गोस्वामी, उमा नौटियाल, लेखराज, कमरूद्दीन, आरसी धीमान, आरपी जखमोला, शिव प्रसाद देवली आदि ने विचार रखे।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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