सबसे ज्यादा खतरनाक है कोरोना का डेल्टा बैरिएंट, शोधकर्ताओं का खुलासा, अस्पताल में भर्ती होने का खतरा दोगुना
शोधकर्ताओं ने शनिवार को 'द लैंसेट' में छपी रिपोर्ट में बताया है कि वायरस के डेल्टा संस्करण में अस्पतालों में भर्ती होने का जोखिम अल्फा वैरिएंट की तुलना में दोगुना है।

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की एमआरसी बायोस्टैटिस्टिक्स यूनिट के एक वरिष्ठ सांख्यिकीविद सह-प्रमुख शोध लेखक ऐनी प्रेसानिस ने कहा कि इस अध्ययन के परिणाम मुख्य रूप से हमें उन लोगों के लिए अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम के बारे में बताते हैं, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है। या आंशिक रूप से टीका लगाया गया है। शोधकर्ताओं ने इस साल 29 मार्च से 23 मई तक इंग्लैंड में 43338 कोविड-19 मामलों के स्वास्थ्य संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण किया। इसमें टीकाकरण की स्थिति, आपातकालीन देखभाल, हॉस्पिटलाइजेशन और रोगी की अन्य जानकारी शामिल है।
सभी वायरस के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग से यह पुष्टि होती है कि रोगी को किस प्रकार का संक्रमण हुआ था। जिनोम सिक्वेंसिंग से पता चला कि केवल 80 प्रतिशत मामलों की पहचान अल्फा संस्करण के रूप में की गई थी, और बाकी डेल्टा थे। शोध में यह भी पता चला है कि 50 में से एक मरीज को उनके कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के 14 दिनों के भीतर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शोधकर्ताओं ने बताया है कि ब्रिटेन में अब डेल्टा वैरिएंट के मामले बढ़ रहे हैं और इस वैरिएंट के 98 फीसदी मामले हो सकते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।