कांग्रेस के कद्दावर नेता जितिन प्रसाद ने छोड़ा राहुल का हाथ, अब हुए बीजेपी के साथ, जानिए उनके बारे में
कांग्रेस के कद्दावर नेता जितिन प्रसाद ने कांग्रेस को बाय बाय कह दिया। आज नौ जून की दोपहर भाजपा मुख्यालय 6ए डीडीयू मार्ग, नई दिल्ली में उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। इस दौरान केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उन्हें पार्टी में शामिल कराया। कांग्रेस नेता के पार्टी में शामिल होने को लेकर दोपहर ही राज्यसभा सदस्य एवं पार्टी के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता अनिल बलूनी ने ट्विट कर जानकारी दी थी, लेकिन उन्होंने ये खुलासा नहीं किया था कि कौन नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा था कि बुधवार की दोपहर एक कांग्रेस के कद्दावर नेता दोपहर एक बजे भाजपा में शामिल होंगे। अब इसका पटाक्षेप हो गया है। वे राहुल गांधी के काफी करीबी थे। काफी दिनों से वे कांग्रेस से खफा चल रहे थे। आज वह केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के घर भी उनसे मुलाकात करने पहुंचे थे। इसके बाद वे पीयूष गोयल की कार में ही उनके साथ गृह मंत्री अमित शाह के घर पहुंचे। इसके बाद वे भाजपा मुख्यालय पहुंचे और भाजपा की सदस्यता ली। इस मौके पर अनिल बलूनी भी साथ थे। उउनके भाजपा में जाने से कांग्रेस के मिशन यूपी को कड़ा झटका लगा है।
इस मौके पर जितिन प्रसाद ने कहा कि मैने ये फैसला बहुत विचार मंथन के बाद लिया। मैने कुछ वर्षों से महसूस किया कि आज कोई देश में असली मायने में संस्थागत राजनीतिक दल है, वो भाजपा है। बाकी दल व्यक्ति विशेष या क्षेत्रीय हो गए हैं। उन्होंने कहा कि देश हित में कोई दल या नेता हैं तो वो भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। जो नए भारत का निर्माण कर रहे हैं, उसमें मुझे भी अपना छोटा सा योगदान करने को मिलेगा। ये मैने सोचा है।
उन्होंने कहा कि यदि आप अपने दलों के लोगों के हितों की रक्षा नहीं कर सकते, उनकी सहायता के लिए मौजूद नहीं हो सकते हैं। ऐसा मुझे लगने लगा था कि कांग्रेस में मैं यही महसूस कर रहा था। कहा कि बोलना नहीं चाहता हूं, मेरा काम बोलेगा। मैं फिलहाल ज्यादा नहीं बोलूंगा, मेरा काम बोलेगा। मैं भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में काम करूंगा। उन्होंने कहा कि मैं दल छोड़ रहा हूं, वो महत्वपूर्ण नहीं है। ये महत्वपूर्ण है कि मैं शामिल हो रहा हूं। तीन पीढ़ियों से परिवार कांग्रेस में सेवा कर रहा था। पिछले सात आठ साल से महसूस कर रहा था कि अब कांग्रेस में काम करना संभव नहीं है।
परिचय और राजनीतिक सफर
जितिन प्रसाद का जन्म 29 नवंबर 1973 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ। जितिन प्रसाद के पिता जितेन्द्र प्रसाद (बाबा साहिब) भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी (1991) , पी.वी.नरसिम्हा राव (1994) के राजनितिक सलाहकार रहे हैं। साथ ही वह उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष (1995) तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उपाध्यक्ष रह चुके हैं।
जितिन प्रसाद ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा द दून पब्लिक स्कूल (देहरादून, उत्तराखंड) तथा स्नातक में दिल्ली विश्विवद्यालय से बी.कॉम तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रबंधन संस्थान (दिल्ली) से MBA किया है। सर्वप्रथम जितिन प्रसाद सन 2001 में भारतीय युवा कांग्रेस में सचिव बने। सन 2004 में उन्होंने अपने गृह लोकसभा सीट शाहजहाँपुर से 14 वीं लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमायी तथा विजय भी प्राप्त हुई। पहली बार जितिन प्रसाद को सन 2008 में केन्द्रीय राज्य इस्पात मंत्री नियुक्त किया गया।
उसके बाद सन 2009 में जितिन प्रसाद 15 वीं लोकसभा चुनाव लोकसभा धौरहरा से लड़े व 184509 वोटों से विजयी भी हुए। जितिन प्रसाद 2009 से 18 जनवरी 2011 तक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, 19 जनवरी 2011 से 28 अक्टूबर 2012 तक पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय तथा 28 अक्टूबर 2012 से मई 2014 तक मानव संशाधन एवं विकास मंत्रालय, यूपीए सरकार में केन्द्रीय राज्यमंत्री रहें हैं। जितिन प्रसाद शाहजहाँपुर, लखीमपुर तथा सीतापुर में काफी लोकप्रिय नेता हैं। जितिन प्रसाद जी को उत्तर प्रदेश में शांतिप्रिय व विकासवादी राजनीती के लिए जाना जाता है।
आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी
गौरतलब है कि अगले साल जनवरी माह में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें यूपी और उत्तराखंड राज्य भी हैं। इसे लेकर अब भाजपा चुनाव मैदान में कूदने की रणनीति बना रही है। साथ ही लोगों के बीच जाने के कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय नेता प्रदेशों के वरिष्ठ नेता, विधायकों और सांसदों के साथ बार बार वर्चुअली जुड़कर दिशा निर्देश दे रहे हैं। इसी के तहत अब दूसरे दलों से उठापटक की राजनीति भी शुरू हो चुकी है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
यह तो पहले भी जा रहा था, ये लोग सत्ता के भूखे हैं