पूर्व विधायक राजकुमार के नेतृत्व में जिलाधिकारी से मिला कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल, मलिन बस्तीवासियों की रखी समस्या
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पूर्व विधायक एवं मलिन बस्ती कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार के नेतृत्व में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी देहरादून से मुलाकात की। इस दौरान उन्हें मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को ना उजाड़ने का अनुरोध किया गया। साथ ही वहां की समस्या को लेकर ज्ञापन सौंपा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पूर्व विधायक राजकुमार का कहना है कि रिस्पना नदी के तटों पर शिखर फॉल से मोथरोंवाला संगम तक बाढ़ मैदान क्षेत्र के नाम से चिह्नित किया गया है। साथ ही उस भूमि के उपयोग को प्रतिषिद्ध एवं निर्बन्धित करने की घोषणा की गई है। इस पर उन्होंने आपत्ति जताई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजकुमार ने कहा कि बाढ़ परिक्षेत्रण प्राधिकारी देहरादून की ओर से सात अक्टूबर 2024 को ऐसे क्षेत्र में नोटिस दिए गए हैं। ये नोटिस 11 अक्टूबर को समाचार पत्रों के माध्यम से प्रकाशन कराकर क्षेत्र के मुख्य स्थानों पर चस्पा कराये गये हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे नोटिस पूर्णतः विधि विरूद्ध होने के कारण न्यायोचित नहीं है। नोटिस के माध्यम से सम्बन्धित क्षेत्रवासियों को फ्लड प्लेन जोन में आने वाले आवास के जवाब देने के लिए 60 दिन का समय दिया गया है। जो पूर्णतः जन विरोधी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि संबंधित क्षेत्र में जो भी निर्माण हुये हैं, वे अधिकांश पंजीकृत मलिन बस्ती में वर्षों पूर्व निर्मित हैं। इनमें शासन की ओर से विभिन्न जनहित योजनाओं के अन्तर्गत क्षेत्रों में सामुदायिक भवन, सड़क नाली, स्ट्रीट लाईटस, पेयजल लाईन डालकर, भवनकर लगाकर सभी क्षेत्रवासियों को सम्बन्धित विभाग की ओर से विधिक औपचारिकताएं पूर्ण कराने के पश्चात पानी और बिजली के कनेक्शन दिए गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इन बस्तियों की सुरक्षा के लिए पुश्ते डालकर ही शासन की ओर से मलिन बस्तियों को मान्यता दी गई है। क्षेत्रवासियों ने जो आवास वहां निर्मित कराये हैं, वे पूरे जीवन की मेहनत मजदूरी से निर्मित कराये हुये हैं। निर्मित आवासों के अलावा सभी क्षेत्रवासियों के पास रहने के लिए अन्य कोई आवास नहीं है। यदि सम्बन्धित क्षेत्रवासियों को अपने आवास छोड़ने पड़े तो सभी के परिवार बेघर होकर सड़क पर आ जायेंगें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पूर्व विधायक ने कहा कि वर्ष 1983, 1986 में कई बस्तियों जैसे कंडोली, चिड़ोवाली खाला, मोहनी रोड़ पुल, बलबीर रोड़ पुल, चूना भट्टा, अधोईवाला, दीपनगर, रामनगर, ऋषिनगर, वाणी विहार, भगत सिंह कालोनी, नई बस्ती चन्दर रोड़, नई बस्ती इन्दर रोड़ में आवास निर्मित हुए हैं। इसके पश्चात ही शासन द्वारा समय-समय पर बस्तिायों में मालिकाना अधिकार दिये हैं। सभी नदी रिस्पना के किनारे निर्मित बस्तियां फ्लड प्लेन जोन से प्रभावित नहीं होती हैं। इस कारण उक्त क्षेत्र भविष्य में फ्लड जैसी बुरी स्थिति से प्रभावित होने की कोई सम्भावना नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि बस्तियाँ हटाने के कारण समस्त क्षेत्रवासी अवश्य ही बुरी तरह प्रभावित हो जायेंगे। यदि शासन की किसी बड़ी योजना का क्रियान्वयन होना अनिवार्य है, तो सम्बन्धित मलिन बस्ती के क्षेत्रवासियों को सम्बन्धित क्षेत्र से हटाने से पूर्व न्यायहित में उनके आवास बनाकर उन्हें वहां शिफ्ट कराकर विस्थापित कराना जाना अति आवश्यक है। ऐसे में शासन द्वारा जारी नोटिस न्यायहित में शीघ्र निरस्त किया जाना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्ञापन देने वालों में देहरादून महानगर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष लालचंद शर्मा, पूर्व पार्षद इलियास अंसारी, निखिल कुमार, हुकुमचंद महेंद्र रावत, मीना बिष्ठ, आनंद त्यागी, सुंदर सिंह पुंडीर, राकेश पवार, हरदयाल प्रसाद यादव, लक्ष्मीराम, असलम, इजहार, ओम प्रकाश, अरुण शर्मा, कौशल्या देव, राजा आदि शामिल थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
H sab basti walo ko unka Hak milna hi cahiye ek ek pesa jod kar too ghar banaya hai tab kya sarkar so rahi thi jab basti bas rahi thi or ab jab sab ne apni zindagi ki puri kamayi laga di too ab piche pade hai wha ji wha yesa nhi hona cahiye or basti walo ko unko Hak milna hi cahiye