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July 31, 2025

सीने में आर-पार हुई सरिया, एम्स के चिकित्सकों ने चार घंटे की सर्जरी से बचाई जान

सड़क हादसे का शिकार हुए एक युवक के सीने को चीरते हुए पांच सूत की सरिया शरीर के आर-पार हो गई। बुरी तरह घायल युवक को पहले कुमाऊं के स्थानीय सीएचसी केंद्र और फिर हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। घायल की बेहद क्रिटिकल स्थिति को देखते हुए उसे एम्स ऋषिकेश रेफर करना पड़ा। एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक रेफर करते हुए घायल को एम्स पहुंचने में पूरे 12 घंटे लग गए। आपात स्थिति को देखते हुए एम्स के ट्रामा विभाग के शल्य चिकित्सकों की टीम ने मध्य रात्रि में ही घायल की सर्जरी शुरू की और 4 घंटे की अथक मेहनत के बाद घायल युवक को नया जीवन देने में कामयाबी हासिल की। युवक अब खतरे से बाहर है और एम्स के ट्रामा वार्ड में उपचाराधीन है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

घटना कुमाऊं क्षेत्र के अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर सुयालबाड़ी से कुछ आगे की है। कुछ दिन पहले यहां दिल दहला देने वाले एक सड़क हादसे में शिक्षिकाओं को लेकर जा रही एक कार और पिकप वाहन की भिडंत हो गई। भिड़ंत के बाद पिकप वाहन सड़क से कई फिट नीचे निर्माणाधीन पुलिया पर जा गिरा। इस पुलिया पर 5 सूत का सरिया ऊपर की ओर उठा हुआ था। मुख्य सड़क से पिकप वाहन जब नीचे पुलिया पर गिरा तो इस दौरान सरिया पिकप में बैठे 18 वर्षीय मोहित की छाती को चीरता हुआ आर-पार हो गया। तकरीबन एक घंटे तक घायल युवक का शरीर पुल की सरिया पर ही फंसा रहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बाद में पुलिस की मदद से किसी तरह पुल से सरिया को काटा गया और फिर छाती में फंसे सरिया सहित गंभीर रूप से घायल हो चुके मोहित को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सुयालबाड़ी ले जाया गया। स्थानीय सीएचसी में मौजूद चिकित्सकों की टीम ने युवक की नाजुक हालत को देखते हुए उसे हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल भेजा। जहां से उसे एम्स रेफर कर दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एम्स में हुई इस सर्जरी की जानकारी देते हुए सर्जरी टीम के मुख्य सर्जन डॉ. मधुर उनियाल ने बताया कि यह बेहद नाजुक समय था। मध्य रात्रि के वक्त मरीज को एम्बुलेंस द्वारा जब एम्स की ट्रॉमा इमरजेंसी में लाया गया तो हमने देखा कि पीठ से अंदर घुसी सरिया घायल युवक के सीने से आगे की ओर निकली है और पेशेंट को तिरछी करवट वाली स्थिति में लिटाकर लाया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

उन्होंने बताया कि हालांकि घटना सुबह 11 बजे के लगभग घटित हो चुकी थी, लेकिन घायल को एम्स ऋषिकेश तक पहुंचने में रात के लगभग 12 बज गए थे। मतलब यह कि उसके शरीर में सरिया को आर-पार हुए 12 घंटे से अधिक का वक्त हो चुका था। यह बेहद चुनौतीपूर्ण समय था। इसके बावजूद चिकित्सकों की टीम के लिए घायल युवक का जीवन बचाना बहुत जरूरी था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डॉ. मधुर ने बताया कि ऐसे में हाई रिस्क लेते हुए सर्जरी शुरू करने का निर्णय लिया गया। करीब चार घंटे चले ऑपरेशन के बाद मोहित की दाहिनी छाती खोल कर सीने से सरिया बाहर निकाल दी गई। डॉ. उनियाल ने बताया कि टीम वर्क से किए गए कार्य की बदौलत ऑपरेशन सफल रहा और अब मरीज की जिंदगी खतरे से बाहर है। सर्जरी करने वाली टीम में डॉ. मधुर उनियाल के अलावा डॉ. नीरज कुमार और डॉ. अग्निवा का योगदान रहा एवं ऐनेस्थेसिया टीम का नेतृत्व डॉ. अजय कुमार और डॉ. मानसा ने किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसी परिस्थितियों में खुद ना निकालें बाहर
डॉ. मधुर उनियाल ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति के शरीर में कभी सरिया या नुकीले लोहे की रॉड अंदर तक घुस जाए, तो बिना शल्य चिकित्सकों की मदद के स्वयं के स्तर से सरिया को शरीर से बाहर खींचने की कोशिश न करें। ऐसा करने से अत्यधिक रक्त स्राव हो सकता है और घायल का जीवन बचना मुश्किल हो जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सर्जरी के लिए बेहोश करना नहीं था आसान
एम्स ऋषिकेश के ऐनेस्थीसिया विभाग के डॉ. अजय कुमार के मुताबिक, कुमाऊं से एम्स पहुंचने तक मोहित को लगभग 12 घंटे का समय लग गया। ऐसे में 12 घंटे तक घायल युवक को तिरछा लिटाकर रखा गया था। सर्जरी के लिए उसे बेहोश करना आसान नहीं था। सरिया फंसी होने के कारण मरीज को सीधा लिटाकर नहीं रख सकते थे। ऐसे में रिस्क लेते हुए डबल ल्यूमन ट्यूब डालकर उसे बेहोश करना पड़ा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पिता की मौत के दो दिन बाद घायल हुआ बेटा
मोहित के पिता किशन राम का कहना है कि इस दुर्घटना के 2 दिन पहले ही मेरे पिता की मृत्यु हुई थी। ऐसे में बेटे मोहित की दुर्घटना की खबर मिलने से हम पूरी तरह टूट गए और मोहित के जीवन को लेकर हौसला हार चुके थे, लेकिन एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों ने मोहित को नया जीवन देकर हमारी उम्मीदों को रोशनी दी है। अब मेरा बेटा खतरे से बाहर है। एम्स के चिकित्सक हमारे लिए भगवान से कम नहीं हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अनुभवी चिकित्सकों की टीम
एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह के अनुसार एम्स के ट्रॉमा विभाग में कुशल और अनुभवी शल्य चिकित्सकों की टीम उपलब्ध है। हाल ही में हुई कुमाऊं के युवक की सर्जरी के मामले में डॉ. मधुर एवं डॉ. अजय कुमार के नेतृत्व में शामिल रहे टीम के सभी चिकित्सकों का कार्य प्रशंसनीय है। प्रत्येक मरीज और घायल का जीवन बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है।
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Bhanu Prakash

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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