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December 3, 2024

अशोक आनन का गीत- आज़ादी का सवेरा

आज़ादी का
हुआ सवेरा।
पक्षी
खुशियों से फ़िर चहके।
फूल
ख़ुशबू से फ़िर महके।
कलरव का
फ़िर हुआ बसेरा।
मावस की
अंधियारी रातें कट गई।
कालिमा की
सारी धुंधलकी छंट गई।
उरों का
दूर हुआ अंधेरा। (जारी, अगले पैरे में देखिए)

ग़म के चेहरों पर
मुस्कानें खिल गईं।
आंसुओं की
सल्तनतें हिल गईं।
स्वप्न
साकार हुआ सुनहरा ।
होंठों पर
गीत लगे थिरकने।
आज़ादी के
दिन लगे महकने।
हरित हुआ
अब वृक्ष उछेरा।
कवि का परिचय
अशोक आनन
जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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