अशोक आनन की कविता- रोटियों की बरसात
कभी तो ऐसी बात हो।
रोटियों की बरसात हो।
दिन में गुलाबी धूप हो,
दीयों भरी अब रात हो।
ग़रीब से जो घृणा करे,
ऐसी न कोई जात हो। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
पिचके पेट हैं जो यहां,
भूख़ की न और घात हो।
बहार का जब मौसम हो,
पीत एक भी न पात हो।
ज़िंदगी के शतरंज में,
कभी राजा की मात हो।
चांद रोटी जैसा दिखे,
जल भरी न वो परात हो।
कवि का परिचय
अशोक आनन
जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।