Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

August 1, 2025

अशोक आनन की कविता- रोटियों की बरसात

कभी तो ऐसी बात हो।
रोटियों की बरसात हो।
दिन में गुलाबी धूप हो,
दीयों भरी अब रात हो।
ग़रीब से जो घृणा करे,
ऐसी न कोई जात हो। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)

पिचके पेट हैं जो यहां,
भूख़ की न और घात हो।
बहार का जब मौसम हो,
पीत एक भी न पात हो।
ज़िंदगी के शतरंज में,
कभी राजा की मात हो।
चांद रोटी जैसा दिखे,
जल भरी न वो परात हो।
कवि का परिचय
अशोक आनन
जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com

नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Bhanu Prakash

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *