अशोक आनन की कविता- राम की सिर्फ़ ओट है, वरना दिल में खोट है
दिल में खोट है
राम की सिर्फ़ ओट है।
वरना दिल में खोट है।
चरण उनके चूमेंगे
जो भी उनके वोट हैं।
मेंढक – से कूद जाते
पर पथ में परकोट है।
बिसात तो बिछ गई पर
दूर की अभी गोट है। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
जख़्म उसके गहरे हैं
अपनों की जो चोट है।
जीत उन्हीं की तय है
जिनके पास अनगिनत नोट हैं।
रोटी , न ग़रीब को जो
दे सके लंगोट है।
कवि का परिचय
अशोक आनन
जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।