अशोक आनन की कविता- फिर वसंत होगा, तानाशाही का भी अंत होगा

फिर वसंत होगा
तानाशाही का भी अंत होगा।
पतझड़ के बाद वसंत होगा।
ज़ालिम कितने भी कहर बरपा ले
देखना, यही मौसम संत होगा।
ये तम की रात भी कट जाएगी
एक नया सवेरा तुरंत होगा।
जब रात न कोई धधकती होगी
दिवस न कोई भी ज्वलंत होगा। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
दिन सभी के जब फ़िर अच्छे होंगे
इस दु:ख का न कोई हलन्त होगा।
जन्म फ़िर यहां कोई भरत लेगा
शकुन्तला, न कोई दुष्यंत होगा।
भक्त तो यहां सभी होंगे, लेकिन
आदमी कोई न भगवंत होगा।
काव्य-गहनों से प्रकृति सजाएगा
वह प्रकृति का चितेरा पंत होगा।
मन- मठ को जो महकाएगा सदा
वह मन-मठ का पूज्य महंत होगा।
कवि का परिचय
अशोक आनन
जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com
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Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।