अशोक आनन की कविता- मधुमास का आना
मधुमास का आना हुआ।
मौसम भी सुहाना हुआ।
काला – कलुटा भंवरा भी
कलियों का दीवाना हुआ।
गुलशन का पत्ता – पत्ता
बहार का ख़ज़ाना हुआ।
कोकिल का कुहू – कुहू ही
प्यार का अफ़साना हुआ। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
कलियों के घर – आंगन में
ख़ुशबू का ठिकाना हुआ।
आम्र – कुंज ही कोयल को
सुर का शामियाना हुआ।
हरियाते पेड़ों को देख
पतझड़ का लजाना हुआ।
कवि का परिचय
अशोक आनन
जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।