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April 17, 2025

अरविंद केजरीवाल और कर्नल कोठियाल के दावों की पूर्व सीएम हरीश रावत ने निकाली हवा, बोले-आंकड़े उठाकर देख लो

उत्तराखंड में यूथ फाउंडेशन की ओर से आप के वरिष्ठ नेता कर्नल कोठियाल की ओर से लगातार ये दावा किया जाता है कि उनसे प्रशिक्षण लेकर करीब दस हजार युवा सेना में भर्ती हुए।

उत्तराखंड में यूथ फाउंडेशन की ओर से आप के वरिष्ठ नेता कर्नल कोठियाल की ओर से लगातार ये दावा किया जाता है कि उनसे प्रशिक्षण लेकर करीब दस हजार युवा सेना में भर्ती हुए। हाल ही में दिल्ली के सीएम एवं आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने देहरादून पहुंचकर कर्नल (से.नि.) अजय कोठियाल को आप की ओर से सीएम का चेहरा घोषित किया। इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने कर्नल की तारीफ में कसीदे गढ़े। कहा कि वे यूथ फाउंडेशन की तरफ से युवाओ को आर्मी की ट्रेनिंग देते हैं। दस हजार युवा प्रशिक्षण के बाद सेना में भर्ती हुए। वहीं, केदारनाथ आपदा के बाद किए गए पुनर्निर्माण कार्यों का श्रेय भी उन्हीं को दिया। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अब आम आदमी पार्टी पर लगातार हमले कर रहे हैं। सोशल मीडिया मे डाली गई पोस्टों में उन्होंने ये स्पष्ट करने का प्रयास किया कि केदारनाथ पुनर्निर्माण का कार्य सिर्फ अजय कोठियाल का नहीं था, बल्कि सामूहिक टीम का था। जिसे उनके मुख्यमंत्री रहते हुए सरकार ने किया।
अब उन्होंने सेना में नौकरी दिलाने के दावों की भी हवा निकालने का प्रयास किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया में अपनी पोस्ट के माध्यम से कहा कि- दिल्ली से आये एक मेहमान नेता ने दावा किया कि उनके उत्तराखंडी सहयोगी ने 10,000 से ज्यादा लड़कों को आर्मी ट्रेनिंग दी है और उन्हें भर्ती किया है। जरा पिछले 5 साल में आर्मी में भर्ती के आंकड़े देख लीजिये तो नेताजी के दावे की हकीकत सामने आ जायेगी। जहां लड़के-लड़कियों को प्रशिक्षण देने का सवाल है, हमारी सरकार ने 2016 में आर्मी के सेवानिवृत्त जेसीओज को कॉलेजों में जाकर ये प्रशिक्षण देने की योजना प्रारंभ की थी। जिसे वर्तमान सरकार ने बंद कर दिया।

हरीश रावत आगे लिखते हैं कि-फिर मेरे बेटे आनंद रावत (Anand Rawat) भी लड़के-लड़कियों को इस प्रकार का प्रशिक्षण देते रहते हैं। जिसकी कुछ फोटोज मैं प्रस्तुत कर रहा हूं, मगर आनंद तो विधायक के भी उम्मीदवार नहीं हैं। नेताजी से कोई सवाल यह तो करें कि दिल्ली में पिछले साढे़ 7 साल में उनकी सरकार ने कितनी नौकरियां दी हैं। और दिल्ली में 3 वर्ष तो पूरी तरीके से नौकरी विहीन रहे। मतलब सरकारी नौकरियों में कहीं भी भर्ती नहीं हुई। अब भी एक संख्या ऐसी है, जिनको मानदेय देकर के नौकरी की केवल पूर्ति की जा रही है। तो कथनी और करनी का अंतर समझने के लिए ये काफी है। इस संबंध में उन्होंने अपने बेटे की ओर से सेना भर्ती के लिए युवाओं को प्रशिक्षण की तस्वीरें भी पोस्ट की हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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