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December 21, 2024

अमेरिका का पलटवार, ISIS के ठिकानों पर ड्रोन से बरसाए बम, मारा गया साजिशकर्ता, भारत भी है आतंकियों का टारगेट

संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना ने शनिवार को इस्लामिक स्टेट (ISIS) के ठिकानों पर ड्रोन से हवाई हमला किया।

संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना ने शनिवार को इस्लामिक स्टेट (ISIS) के ठिकानों पर ड्रोन से हवाई हमला किया। अफगानिस्तान में एक आइएसआइएस सदस्य पर काबुल एयरपोर्ट पर विनाशकारी आत्मघाती बम विस्फोट के 48 घंटे से भी कम समय में अमेरिका की यह बड़ी कार्रवाई है। दो दिन पहले काबुल एयरपोर्ट पर हुए विस्फोट में 13 अमेरिकी सैनिकों के अलावा 78 अफगान मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी ISIS-K ने ली थी।
अमेरिकी सेना ने दावा किया कि उसने काबुल हवाई अड्डे पर घातक आत्मघाती बम विस्फोट की जिम्मेदारी लेने वाले इस्लामिक स्टेट-खोरासन के एक “योजनाकार” के खिलाफ ड्रोन हमला किया है और उसे मार गिराया है। मध्य कमान के कैप्टन बिल अर्बन ने कहा कि- मानवरहित हवाई हमला अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में किया गया है और शुरुआती संकेत हैं कि हमने लक्ष्य को मार गिराया है। इस हमले के बाद पहली अमेरिकी हमले की घोषणा करते हुए उन्होंने एक बयान में कहा कि-हमें किसी भी नागरिक के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है।
यह एयरस्ट्राइक अफगानिस्तान के बाहर से शुरू की गई है। गुरुवार को काबुल एयरपोर्ट पर हुए आत्मघाती हमले के बाद भी कड़ी सुरक्षा के बीच वहां से लोगों को निकालने का काम जारी है। काबुल विस्फोट में 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि विस्फोट के बाद बंदूकधारियों ने गोलीबारी की, जिससे नरसंहार और बढ़ गया। इस हमले को इस्लामिक स्टेट समूह की हिंसक अफगान शाखा ने अंजाम दिया था।
अमेरिका ने ये ड्रोन हमला अफगानिस्तान से बाहर किसी अज्ञात स्थान से अंजाम दिया है। इससे संकेत साफ हैं कि अमेरिकी सेना अफगानिस्तान से पूरी तरह बाहर निकलने के बाद भी आतंकी ठिकानों को निशाना बना सकती है। उधर, अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट के विभिन्न गेट पर मौजूद अपने नागरिकों से तुरंत वहां से हटने को कहा है। आतंकी हमले की आशंका को देखते हुए यह निर्देश दिया गया है।
नागरिकों से काबुल एयरपोर्ट के गेट को छोड़ने को कहा
काबुल एयरपोर्ट पर हमले के बाद अमेरिका अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित है। अमेरिका ने अपने नागरिकों को काबुल एयरपोर्ट के आसपास के गेट तुरंत छोड़ने के लिए कहा है। जहां पर इस सप्ताह एक आत्मघाती हमलावर ने तालिबान शासन से भागने की कोशिश कर रही भीड़ को निशाना बनाया था। इससे पहले शुक्रवार को पेंटागन ने कहा था कि अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को निकालने के लिए उच्च जोखिम वाले काबुल एयरलिफ्ट ऑपरेशन को अभी भी ‘विशिष्ट और विश्वसनीय खतरों’ का सामना करना पड़ सकता है।
काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास ने सुरक्षा अलर्ट में कहा कि-अमेरिकी नागरिक जो ऐबे गेट, ईस्ट गेट, नॉर्थ गेट या न्यू मिनिस्ट्री ऑफ इंटीरियर गेट पर हैं, उन्हें अब तुरंत निकल जाना चाहिए। दूतावास ने कहा कि-काबुल एयरपोर्ट पर सुरक्षा खतरों के कारण हम अमेरिकी नागरिकों को एयरपोर्ट की यात्रा से बचने और एयरपोर्ट के फाटकों से बचने की लगातार सलाह देते हैं। अलर्ट में इस बारे में कोई और विवरण नहीं दिया है कि सुरक्षा के खतरे क्या हो सकते हैं। हालांकि, यह गुरुवार के हमले के बाद हुआ है, जिसमें अमेरिका के 13 सैनिकों सहित कई लोग मारे गए थे। इस्लामिक स्टेट के जेहादी समूह ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए दावा किया था कि विस्फोट ने अमेरिकी बलों को निशाना बनाया था, लेकिन इसने तालिबान के कट्टर शासन से बचने के लिए एयरपोर्ट पर जुटी आशंकित लोगों की भीड़ को सबसे ज्यादा प्रभावित किया था।
आइएसआइएस-के की निगाह भारत पर
युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में काबुल एयरपोर्ट पर गुरुवार को हुए घातक बम विस्फोटों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट खुरासान (ISIS-K) ने ली है। भारतीय खुफिया समुदाय के सूत्रों के मुताबिक, इस्लामिक स्टेट खुरासान की भारत पर टेढ़ी नजर है। सरकारी सूत्रों कहा कि अफगानिस्तान में एक ठोस पैर जमाने के बाद इस्लामिक स्टेट खुरासान, जिहाद को मध्य एशिया और बाद में भारत में फैलाने के फिराक में है। उन्होंने कहा कि आतंकी हमले करना और युवाओं की भर्ती करना उनके एजेंडे में सबसे ऊपर है। उन्होंने कहा कि वैचारिक रूप से वे भारत में खिलाफत का शासन स्थापित करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि केरल और मुंबई के युवा ISIS में शामिल हो गए हैं। यह हिंसक समूह कट्टरपंथी व्यक्तियों के बीच महत्वपूर्ण आकर्षण का केंद्र है। एक अधिकारी ने समूह की भर्ती योजनाओं के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि- अगर रिवर्स ऑस्मोसिस शुरू होता है, तो भारत में कई सेल को सक्रिय किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान के अधिग्रहण के साथ, देश आतंकवादी समूहों के लिए पेट्री डिश के रूप में उभर रहा है। उनके अनुसार, जम्मू-कश्मीर में अपने हमलों के लिए मशहूर पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद का नेतृत्व कंधार की सीमा से लगे अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत में स्थानांतरित हो गया है। सूत्रों ने कहा इसी तरह, 2008 के मुंबई हमलों के लिए जिम्मेदार लश्कर-ए-तैयबा का नेतृत्व पूर्वी अफगानिस्तान के कुनार में स्थानांतरित हो रहा है। एक सूत्र के अनुसार, काबुल हमले यह दिखाने के लिए किए गए थे कि तालिबान वह सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकता जिसका वह वादा करता रहा है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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